आनंदीबेन पटेल घटलोडिया सीट से ही विधायक हैं.
हालांकि, कल ऐसी खबरें आईं थी कि आनंदीबेन पटेल विधानसभा का चुनाव लड़ सकती हैं, क्योंकि उन्होंने कहा था कि पार्टी जो कहेगी वो मान्य होगा. याद रहे कि आनंदीबेन को चुनाव लड़ने के लिए मनाने की ज़िम्मेदारी ओम माथुर और राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामलाल को सौंपी गई थी.
बीजेपी ने अपनी इस आखिरी लिस्ट में 34 उम्मीदवारों के नाम का एलान किया है. अमित शाह की सीट नाराणपुर से कौशिक भाई पटेल को टिकट दिया गया है. 12 विधायको को मिला टिकट है.
आपको बता दें कि गुजरात में दो चरणों में 9 और 14 दिसंबर को मतदान हो रहा है. पहले चरण के लिए नामांकन भरने की आखिरी तारीख गुजर चुकी है, लेकिन दूसरे चरण में नामांकन भरने की आखिरी तारीख 27 नवंबर है यानि आज है.
आनंदीबेन पटेल के मायने क्या हैं?
साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने गुजरात के सीएम पद से इस्तीफा था तब आनंदीबेन को गुजरात का सीएम बनाया गया था, लेकिन सत्ता पर उनकी कमजोर पकड़ और पाटीदार के गुस्से की वजह से उनकी कुर्सी चली गई थी. वो 22 मई 2014 से 7 अगस्त 2016 तक ही गुजरात की सीएम रहीं. उनके बाद विजय रुपाणी को सत्ता की कमान सौंपी गई.
आज के माहौल में चुनाव मैदान में पूर्व सीएम आनंदीबेन पटेल का नहीं होना बीजेपी के लिए बुरी खबर है. एक ऐसे वक़्त में जब सूबे में पटेल नाराज़ चल रहे हैं, पटेल समुदाय के एक कद्दावर नेता का चुनाव मैदान से गायब रहना और वो भी नाराज़गी के सबब, निश्चित तौर पर बीजेपी के लिए अच्छी बात नहीं है.
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