(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Gujarat Election 2022: विनिंग मार्जिन... समय के साथ कांग्रेस को खा गई ये बीमारी, अब बीजेपी भी इसकी शिकार!
Gujarat Election 2022: गुजरात की सभी 182 विधानसभा सीटों पर 1 और 5 दिसंबर को दो चरणों में मतदान कराया जाएगा. गुजरात की विधानसभा का कार्यकाल 18 फरवरी 2023 को खत्म हो रहा है.
Gujarat Assembly Elections: गुजरात विधानसभा चुनाव में दो हफ्ते से भी कम का समय बचा है. राज्य में सियासी हलचल अब तेज होती दिख रही है. सभी राजनीतिक दल सत्ता पर काबिज होने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. वैसे तो राज्य में 1995 से ही बीजेपी का दबदबा रहा है, लेकिन पिछले विधानसभा चुनावों के आंकड़े सामने आने के बाद बीजेपी की मुश्किल बढ़ती नजर आ रही है. लगातार गिर रहे जीत के अंतर ने बीजेपी के लिए परेशानी खड़ी कर दी है.
गुजरात में इस बार चुनावी लड़ाई आम आदमी पार्टी की एंट्री के बाद पहले से ज्यादा दिलचस्प हो गई है. यह इसलिए भी खास है, क्योंकि इस विधानसभा चुनाव के नतीजे 2024 के लोकसभा चुनावों का मंच तैयार करेंगे. हमेशा से कांग्रेस और बीजेपी में सीधा मुकाबला देखा गया है. 1995 में सबसे पहले सत्ता में आने के बाद से अब तक लगातार बीजेपी की जीत का अंतर पहले के मुकाबले कम हुआ है. अब आप की एंट्री के बाद इस अंतर में और ज्यादा गिरावट आ सकती है.
गिर रहा जीत का अंतर
गुजरात विधानसभा चुनाव में लगातार बीजेपी की जीत का अंतर गिर रहा है. 1962 में जीत का औसत अंतर 23.7 प्रतिशत था. 1980 में यह घटकर 22.9 प्रतिशत हो गया, जब सत्ताधारी BJP ने पहली बार राज्य में चुनाव लड़ा. 1995 में, जब सत्तारूढ़ भाजपा पहली बार सत्ता में आई थी, औसत जीत का अंतर और गिरकर 15.7 प्रतिशत हो गया था. 2017 के पिछले विधानसभा चुनावों में यह 13.6 प्रतिशत था, जो 1962 के बाद सबसे कम था. अब देखना यह होगा कि इस बार जीत का अंतर कितना होगा.
बीजेपी का उदय
राज्य में जीत के अंतर में गिरावट के रुझान के बावजूद बीजेपी फायदे में रही है. सत्ताधारी पार्टी के लिए जीत के अंतर का औसत प्रतिशत लगातार बढ़ा है, भले ही सीटों की संख्या में गिरावट आई हो. 1995 में 121 से लेकर पिछले विधानसभा चुनावों में 99 तक. दूसरी ओर, कांग्रेस की जीत का अंतर गिर रहा है. 1985 में कांग्रेस की जीत का औसत अंतर 31.8 प्रतिशत था, जो राज्य में अब तक का सर्वाधिक है. पिछले विधानसभा चुनावों में 2017 में यह घटकर 8.4 प्रतिशत रह गया.
कांटे की टक्कर
जीत के अंतर के लगातार गिरने से यह तो साफ हो जाता है कि बीजेपी की लोकप्रियता में पहले से काफी कमी आई है. सवाल यह उठता है कि कहीं कांग्रेस ने जो गलतियां की हैं, वह बीजेपी दोहरा तो नहीं रही. राज्य के 182 निर्वाचन क्षेत्रों में से कई सीटों पर मतदान पैटर्न एक जैसे रहे हैं, लेकिन कुछ मतदाताओं ने पार्टियों को हमेशा अपनी सीटों के लिए हाशिए पर धकेला है. राज्य के 13 विधानसभा चुनावों में से लगभग नौ में तीन ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों में कांटे की टक्कर देखी गई है. इन विधानसभाओं में उम्मीदवार जीत के 10 प्रतिशत से कम अंतर से मुश्किल से जीत हासिल कर सके. राज्य में पहले अहम मुकाबला केवल बीजेपी और कांग्रेस के बीच देखा जाता है. अब आम आदमी पार्टी भी यहां जीत हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा है.
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