Gujarat Assembly Elections: गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस ने एनसीपी और बीटीपी के साथ गठबंधन की रणनीति बनाई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस आदिवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी बीटीपी और एनसीपी के लिए चार-चार सीटें छोड़ सकती है. वहीं, दावा ये भी किया जा रहा है कि इस गठबंधन का जल्द एलान किया जाएगा. मौजूदा विधानसभा में एनसीपी के एक और बीटीपी के दो विधायक हैं.


कांग्रेस-बीटीपी गठबंधन की संभावना ज्यादा अहम इसलिए है क्योंकि गुजरात विधानसभा की 182 सीटों में से आदिवासियों के लिए 27 सीटें आरक्षित हैं. 27 सालों से सत्ता से बाहर रहने के बावजूद इन इलाकों में कांग्रेस बीजेपी मुकाबले मजबूत स्थिति में है. लेकिन इस बार कांग्रेस के सामने बीजेपी के अलावा आम आदमी पार्टी की भी चुनौती है. आम आदमी पार्टी गुजरात के तमाम इलाकों में सेंधमारी करने में जुटी है जिसमें आदिवासी इलाके भी शामिल हैं.


सीट बंटवारे के मुद्दे पर आप और बीटीपी का गठबंधन टूटा


छोटू बसावा की पार्टी बीटीपी की आदिवासी इलाकों में और खास तौर पर भील जनजाति में पकड़ मानी जाती है. कांग्रेस ने पिछला विधानसभा चुनाव भी बीटीपी के साथ लड़ा था लेकिन इस बार पहले केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और बीटीपी ने गठबंधन का एलान किया. सीट बंटवारे के मुद्दे पर आप और बीटीपी का गठबंधन टूट गया और अब एक बार फिर कांग्रेस बीटीपी साथ आ रही है. कांग्रेस को उम्मीद है कि इससे आदिवासी इलाकों में बीजेपी के खिलाफ वोट नहीं बंटेगा.


इतनी सीटें जीतने की रणनीती बना रही कांग्रेस


पिछली बार अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 27 सीटों में से कांग्रेस ने 15 और बीटीपी ने 2 सीट जीती थीं. बीते कुछ समय में आदिवासी इलाकों में पार नर्मदा तापी लिंक प्रोजक्ट के खिलाफ हुए सरकार विरोधी आंदोलनों से बने माहौल की बदौलत कांग्रेस बीटीपी को साथ लेकर इस बार 27 में से ज्यादातर सीटें जीतने की रणनीति बना रही है. कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे अपनी पहली सभा 29 अक्टूबर को आदिवासी इलाकों से सटे नवसारी में करने वाले हैं.


आरक्षित सीटों के अलावा भी एक दर्जन सीटों पर अनुचित जनजातियों का वोट नतीजे को प्रभावित करता है. खतरे को भांपते हुए बीजेपी ने इस प्रोजेक्ट को रद्द करने का एलान कर दिया. इससे बीजेपी कितना डैमेज कंट्रोल कर पाई यह तो चुनाव नतीजे में ही पता चलेगा लेकिन इस बार गुजरात के आदिवासी वोटों को लेकर खींचतान जोरदार रहने की पूरी संभावना है. 


यह भी पढ़ें.


Coimbatore Explosion Case: 'कोयंबटूर ब्लास्ट केस NIA को सौंपेगी तमिलनाडु सरकार', सीएम एमके स्टालिन का बयान