नई दिल्लीगुजरात चुनाव में पटेल समुदाय के आरक्षण का मुद्दा गरम है. पाटीदार जिस आरक्षण की मांग कर रहे हैं उसपर पेंच फंसा हुआ है. हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को अपना रुख साफ करने के लिए सात नवंबर तक का वक्त दिया है.

दरअसल पटेलों को आरक्षण देने में सबसे बड़ी मुश्किल सुप्रीम कोर्ट का आदेश है, जो साफ कहता है कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता.ऐसे में सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी आरक्षण के नाम पर पटेलों को गुमराह कर रहे हैं.

क्या राहुल गांधी आरक्षण के नाम पर पटेलों को गुमराह कर रहे हैं?

दरअसल हार्दिक के अल्टीमेटम के बाद कांग्रेस ने कहा था कि आरक्षण के मौजूदा 49% कोटा के अलावा वो 20 % का एक और कोटा लायेगी और उसी कोटे के तहत आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों यानी ईबीसी को आरक्षण दिया जाएगा और उसी कोटे के तहत पाटीदारों को आरक्षण दिया जायेगा.

कांग्रेस का ये फॉर्मूला दरअसल आंख में धूल झोंकने जैसा है, क्योंकि गुजरात की मौजूदा बीजेपी सरकार ने भी ऐसे आरक्षण की व्यवस्था की थी.

1 मई 2016 को गुजरात सरकार ने आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लिए सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण की अधिसूचना जारी की थी. इसके तहत छह लाख रुपए तक की सालाना आय वाले पाटीदार, ब्राह्मण और बनिया समुदाय के लोगों को आरक्षण दिया जाना था. लेकिन 4 अगस्त 2016 को ही गुजरात हाई कोर्ट ने इस अधिसूचना को रद्द कर दिया.

कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने से आऱक्षण 50 फीसद से ऊपर चला जाएगा जो नहीं हो सकता. फिलहाल इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. कोर्ट में लटकने वाला ये आरक्षण का पहला मामला नहीं है. इससे पहले कई राज्यों में आरक्षण को लेकर आंदोलन होने पर सरकारों या राजनीतिक दलों ने इस तरह के धोखे दिए हैं, जैसा अब कांग्रेस गुजरात में करने की कोशिश कर रही है.

कैसे मिल सकता है50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण?

आरक्षण की तय सीमा यानी 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण तभी दिया जा सकता है जब पटेलों को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने के कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में डलवा दिया जाए. ये काम सिर्फ केंद्र सरकार ही कर सकती है, यानी सत्ता मिलने पर भी कांग्रेस फिलहाल ऐसा नहीं कर सकती और केंद्र की मुश्किल ये है कि अगर वो किसी एक समुदाय के लिए ऐसा करेगी तो जगह जगह ऐसी मांगें उठने लगेंगी. यहां जानेदेश में क्या है आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था?

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