गांधीनगर:  गुजरात चुनाव से पहले पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को आरक्षण पर तीन नवंबर तक का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन अब कांग्रेस को 31 अक्टूबर तक स्टैंड क्लियर करने को कहा है. आज पाटीदार अनामत आंदोलन समिति और कांग्रेस के बीच बैठक भी बुलाई गयी है. जिसके बाद हार्दिक पटेल अपना स्टैंड भी क्लियर करेंगे.

पटेलों को लुभाने के लिए जोर लगा रही है कांग्रेस-बीजेपी

दिसंबर महीने में गुजरात के चुनाव होने है और पाटीदारों का वोट बैंक किसी भी पार्टी के लिए सरकार बनाने के लिए काफी अहम् भूमिका निभाता है. यही कारण है कि कांग्रेस और बीजेपी पटेलों को लुभाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. हार्दिक पटेल के अल्टीमेटम के बाद कांग्रेस ने देर न करते हुए ये कहा है कि वह आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए 20% आरक्षण लाएगी, जिसमें पाटीदारों को भी शामिल किया जायेगा.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक 50% से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता. गुजरात में फिलहाल 49.5% आरक्षण पहले से ही है. जिसमें ओबीसी को 27%, एसटी (शेड्यूल्ड ट्राइब्स) को 15% और एससी (शेड्यूल्ड कास्ट) को 7.5% आरक्षण मिला हुआ है. साफ है इससे कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक और आरक्षण नहीं दिया जा सकता.

कांग्रेस के लिए भी बढ़ेंगी मुश्किलें

ओबीसी आरक्षण 27% है, जिसमें कुल 146 जातियां है. ऐसे में पटेलों को भी ओबीसी में लाना नामुमकिन है, क्योंकि पटेलों की संख्या ज्यादा है और ओबीसी अपने हिस्से का आरक्षण पटेलों को देने के पक्ष में नहीं दिख रहे. ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर जो कि कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं, उन्होंने भी पटेलों को आरक्षण देने की बात कही है, लेकिन ओबीसी में शामिल करने की नहीं.

 बीजेपी पर लगातार निशाना साध रहे हैं हार्दिक पटेल

इसमें कोई दो राय नहीं कि पाटीदार आंदोलन से बीजेपी को पंचायत चुनाव में भारी नुकसान देखना पड़ा था. इस बार भी पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के एक के बाद एक कई वार बीजेपी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर कर रहे हैं. उनका झुकाव कांग्रेस की ओर साफ़ देखा जा रहा है. हाल ही में उनके राहुल गांधी से मिलने के सबूत भी सामने आये थे. इस बीच सवाल यही है अगर बीजेपी 10% आरक्षण नहीं दे पायी, वहीं कांग्रेस आखिर 20% आरक्षण कैसे देगी?

कांग्रेस को अल्टीमेटम देने के पीछे हार्दिक की मजबूरी!

ऐसे में सवाल ये कि कांग्रेस को अल्टीमेटम देने के पीछे आखिर हार्दिक की मजबूरी क्या थी? दरअसल क़ानूनी तौर पर आरक्षण किस तरह मिल पाएगा, इसकी स्पष्टता हार्दिक की पहली प्राथमिकता है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि पाटीदारों के युवा नेता हार्दिक पटेल की मुश्किलें बढ़ चुकी हैं. इसकी बड़ी वजह यह है कि उन्होंने पहले से ही बीजेपी के ख़िलाफ़ रहना तय कर लिया है और वह जमकर पीएम मोदी, अमित शाह और बीजेपी के ख़िलाफ़ बोल रहे हैं. इस सूरत में भी अगर कांग्रेस की तरफ से कोई रास्ता नहीं दिखा तो उनके लिए यह मुश्किल होगी कि वह कहां जाएं.

हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को केवल अल्टीमेटम ही नहीं दिया बल्कि राहुल गांधी को धमकी भी दी है कि यदि कांग्रेस ने ये स्पष्ट नहीं किया तो राहुल गांधी को भी अमित शाह की तरह सूरत में विरोध क्षेलना पड़ेगा. आपको बता दें कि सूरत में अमित शाह के खिलाफ पाटीदारों ने जमकर विरोध किया था.

गुजरात में करीब 15 फ़ीसदी आबादी पटेलों की

पटेल समुदाय को गुजरात का सबसे संपन्न और मजबूत वर्ग माना जाता है. गुजरात की कुल जनसंख्या में लगभग 15 फ़ीसदी आबादी पटेलों की है. गुजरात में आरक्षण को लेकर चले पाटीदार आंदोलन के कारण पंचायत के चुनाव में बीजेपी को भारी नुकसान हुआ था. इसी वजह से बीजेपी ने 10% आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का फ़ैसला किया था. जिसे गुजरात हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था. हालांकि इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है.

 गुजरात में बड़ा आंदोलन कर चुके हैं पाटीदार

बीते साल गुजरात के पाटीदार समुदाय के लोगों ने आरक्षण की मांग करते हुए पूरे राज्य में आंदोलन चलाया था. इसके नेता हार्दिक पटेल को हिरासत में लेने के बाद हिंसा भड़क उठी थी. इसमें कुछ लोगों की मौत भी हो गई थी. इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ और आगज़नी की घटनाएं हुई थीं. हार्दिक और उनके समर्थकों पर राष्ट्रद्रोह का अभियोग लगाया गया. हार्दिक पटेल की अगुवाई वाले संगठन पाटीदार अनामत आंदोलन समिति राज्य सरकार के फ़ैसलों की आलोचना करती रही है.

इस बीच बीजेपी नेता और गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कांग्रेस पर ये आरोप लगाया है कि जब राज्य सरकार ने 10% आरक्षण, आर्थिक रूप से पिछले वर्ग के लिए फैसला किया था तब कांग्रेस के ही किसी व्यक्ति ने कोर्ट में चुनौती दी थी. आज वही कांग्रेस 20% आरक्षण की बात कर रही है.

आखिर 20% आरक्षण कैसे देगी कांग्रेस?

भले ही कांग्रेस ने 20% आरक्षण की बात कही है, लेकिन सवाल यहीं कि जब बीजेपी के 10% के फैसले को भी खारिज कर दिया गया तो आखिर कांग्रेस 20% कैसे दे पाएगी? सुप्रीम के फैसले के मुताबिक, आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं दिया जा सकता. गुजरात में फिलहाल 49.5% आरक्षण पहले से ही है, ऐसे में पाटीदारों को आरक्षण देने के लिए संविधान की नौवीं अनुसूची में बदलाव करना होगा जो केवल केंद्र कर सकती है. केंद्र में फिलहाल बीजेपी की सरकार है ऐसे में कांग्रेस अगर गुजरात की चुनाव जीत भी गई तो आरक्षण देने में उसे परेशानियों का सामना करना पड़ेगा?

एक पल के लिए ये मान ले कि अगर 2019 में कांग्रेस की केंद्र में सरकार बनेगी, तब भी ये मुमकिन नहीं, क्योंकि गुजरात में अगर 50% से ज्यादा आरक्षण किया गया तो ये मांग पूरे देश से उठने लगेगी.

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