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गुजरात चुनाव: जानें- कांग्रेस को क्यों पड़ी हिन्दू कार्ड खेलने की ज़रूरत?
राहुल गांधी की तरह ही पीएम मोदी ने भी अपने गुजरात दौरे की शुरूआत द्वारकाधीश मंदिर में दर्शन के साथ की थी. गुजरात में दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं.
गांधीनगर: कुछ दिनों में गुजरात में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान होने वाला है. कहा जा रहा है कि राज्य में दिसंबर में चुनाव हो सकते हैं. राज्य में जहां बीजेपी सत्ता बचाने के लिए जी जान लगा रही है. तो वहीं 22 साल से सत्ता से दूर रही कांग्रेस वापसी की ताक में है.
बीजेपी की हिंदुत्व छवी का जवाब देने की कोशिश में कांग्रेस
सत्ता पर फिर से काबिज होने के लिए कांग्रेस अब अपने ‘सेक्युलर’ टैग को हटाकर हिन्दू कार्ड खेल रही है. कांग्रेस बीजेपी की हिंदुत्व छवी का जवाब देने की कोशिश कर रही है. पिछले महीने ही कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी गुजरात यात्रा में सबसे पहले द्वारकाधीश मंदिर पहुंचे थे. अपने दूसरे दौरे के आखिरी दिन राहुल गांधी ने भाथीजी महाराज के दर्शन किए थे. ये वही मंदिर है, जहां से 2002 में गुजरात चुनाव का अभियान नरेंद्र मोदी ने शुरू किया था.
भाथीजी महाराज मंदिर में राहुल गांधी ने किया आरती और हवन
बता दें कि साल 2002 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या तक की रथयात्रा का अनुसरण करते हुए 2002 में गुजरात चुनाव के आगाज के लिए गौरव यात्रा की शुरुआत भाथीजी महाराज मंदिर से ही की थी. नरेंद्र मोदी ने खुद को गुजराती अस्मिता के एकमात्र रखवाले के तौर पर अपनी पहचान बनाई थी. इसी मंदिर में राहुल गांधी ने आरती और हवन किया था.
राज्य में 40% वोट शेयर ओबीसी का
आपको बता दें कि राज्य में 40% वोट शेयर ओबीसी का है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ओबीसी समुदाय से आते हैं. ओबीसी समुदाय में भाथीजी महाराज के लिए बड़ी श्रद्धा है. इसीलिए राहुल गांधी के इस मंदिर में जाने के पीछे भी सियासी कदम देखा जा रहा है. कहा जा सकता है कि सत्ता में कौन आएगा, इसका फैसला इस कम्युनिटी के वोट पर भी निर्भर करता है.
साल 1960 में जब गुजरात बना तब से ओबीसी समुदाय कांग्रेस के साथ था. 1985 में यह स्पोर्ट कांग्रेस के साथ और भी बढ़ा. तभी माधव सिंह सोलंकी जो खुद भी ओबीसी है, वे 149 सीटें जीतने में कामयाब रहे, लेकिन मंदिर आंदोलन जब शुरू हुआ तब ओबीसी हिंदुत्व की ओर आकर्षित हुए और तब से वह बीजेपी के साथ दिख रहे हैं.
ओबीसी को लुभाने की कोशिश में कांग्रेस
राहुल गांधी अपनी मंदिर राजनीति के ज़रिए हिन्दू और खास कर ओबीसी को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं और उसी वोट बैंक को वापस लाने के लिए गुजरात में पसीना बहा रहे हैं.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने 25 सितंबर को द्वारकाधीश मंदिर में भगवान कृष्ण की पूजा कर अपनी यात्रा की शुरुआत की थी. इस दौरान उन्होंने सौराष्ट्र क्षेत्र का तीन दिन का दौरा किया था. राहुल गांधी गुजरात के पांच मंदिरों में गए और राजकोट और जामनगर में गरबा में शामिल हुए.
मध्य गुजरात के दौरे पर भी राहुल गांधी ने किए थे कई मंदिरों के दर्शन
मंदिरों में माथा टेकने के साथ-साथ राहुल गांधी माथे पर तिलक लगाए हुए भी नजर आए. यहां तक कि राहुल गांधी पहाड़ी पर स्थित देवी मां चामुंडा के दर्शनों के लिए बिना रुके ही 15 मिनट में एक हजार सीढ़ियां चढ़ गए थे. मध्य गुजरात के दौरे पर भी राहुल गांधी ने कई मंदिरों के दर्शन किए थे. हालांकि कांग्रेस की इस मंदिर राजनीति का जवाब बीजेपी के प्रवक्ता ने यह कह कर दिया कि ‘पहले राहुल गांधी हवन में बैठना और पूजा करना सीख लें.’
हिंदू विरोधी छवि है कांग्रेस की हार की बड़ी वजह
राहुल गांधी शायद ये जानते हैं कि 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की एक बड़ी वजह हिंदू विरोधी छवि है. राहुल गांधी ने गुजरात विधानसभा चुनाव के जरिए कांग्रेस की हिंदू विरोधी छवि को तोड़ने की कवायद शुरू कर दी है.
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