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13 और 14 अक्टूबर को गुजरात में चुनाव प्रचार करेंगे यूपी के सीएम योगी
साल 2001 से 2014 तक नरेंद्र मोदी लगातार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे. प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार गुजरात में उनके बिना चुनाव होगा. मोदी के साथ साथ गुजरात, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का भी गृह राज्य है और इस राज्य में 1995 से लगातार बीजेपी का कब्जा बना हुआ है.
लखनऊ/गांधीनगर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 13 और 14 अक्टूबर को गुजरात का दौरा करने वाले हैं. सीएम योगी वहां बीजेपी की गौरव यात्रा में शामिल होकर बीजेपी को चुनावी बढ़त दिलाने की कोशिश करेंगे. चुनाव प्रचार के दौरान भी योगी को बीजेपी ने स्टार प्रचारक के तौर पर उतारने का फैसला किया है.
गुजरात में योगी स्टार प्रचारक क्यों?
योगी पहले 13 और 14 अक्टूबर को गुजरात में बीजेपी की गौरव यात्रा में शामिल होंगे और बाद में चुनाव के दौरान वो गुजरात में स्टार प्रचारक के तौर पर नजर आएंगे. सवाल उठता है कि जिस गुजरात में विकास चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा है, वहां कट्टर हिंदुत्व की छवि वाले योगी को बीजेपी मैदान में क्यों उतार रही है?
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इस बार हिंदुत्व कॉर्ड खेल रही है कांग्रेस!
आपको बता दें कि राहुल गांधी ने गुजरात में अपने चुनाव प्रचार की शुरूआत द्वारकाधीश से आर्शीवाद लेकर किया है और वो अपने हर दौरे में मंदिर जरूर जा रहे हैं. राजनीति के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस इस बार सॉफ्ट हिंदुत्व कॉर्ड खेलने का मन बना रही है, जिसका जवाब बीजेपी उग्र हिंदुत्व के पोस्टर ब्वॉय से दे सकती है.
गुजरात में मुस्लिम आबादी का समीकरण
गुजरात में मुस्लिमों की कुल आबादी करीब 58 लाख 47 हजार है, जो गुजरात की कुल आबादी का करीब 9.67 फीसदी है. राज्य की 182 सीटों में से 36 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 15 फीसदी से ज्यादा है. 2007 में वहां कांग्रेस के 5 मुस्लिम विधायक थे लेकिन मौजूदा विधानसभा में केवल 2 मुस्लिम विधायक हैं, जो कांग्रेस के टिकट पर चुने गये हैं.
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लोकसभा में गुजरात से एक भी मुस्लिम सांसद नहीं हैं. राज्यसभा में अहमद पटेल कांग्रेस के टिकट पर कुछ ही दिनों पहले सांसद चुने गये हैं.
मोदी के पीएम बनने के बाद गुजरात में पहला चुनाव
गौरतलब है कि साल 2002 के बाद गुजरात में जितने चुनाव हुए हैं, उन हर चुनाव में दंगा किसी न किसी रूप में मुद्दा जरूर बनता है. हालांकि 21 वीं शताब्दी का गुजरात का ये पहला चुनाव है जिसमें बीजेपी की सीधी कमान नरेंद्र मोदी के हाथ में नहीं हैं. लिहाजा वो पहले की तरह गुजरात को समय नहीं दे सकते हैं. ऐसे में बीजेपी को योगी आदित्यनाथ जैसे नये चेहरों की जरूरत महसूस हो रही है.
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