गांधीनगर: गुजरात के विधानसभा चुनाव में अब एक महीने से भी कम का समय रह गया है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां अपनी-अपनी जीत के बड़े-बड़े दावे कर रही हैं, लेकिन दोनों ही पार्टीयों ने अभीतक अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी नहीं की है.


क्या है बीजेपी और कांग्रेस की रणनीति और मजबूरी?

कल दिल्ली में बीजेपी संसदीय बोर्ड औऱ केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई थी. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, गुजरात के चुनाव प्रभारी अरुण जेटली और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज समेत तमाम बड़े नेता मौजूद थे. बैठक में उम्मीदवारों पर घंटों मथन हुआ, लेकिन सूची जारी नहीं हुई.

बीजेपी को सता रहा है विरोधी लहर का डर!

बीजेपी के महासचिव जेपी नड्डा ने कहा है कि हम सही समय आने पर सूची जारी कर देंगे. लेकिन सूत्रों के मुताबिक, बात मौजूदा विधायकों के टिकट काटने पर फंसी है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी को शायद सत्ता विरोधी लहर का डर सता रहा है.

मौजूदा कई विधायकों को टिकट नहीं देना चाहती बीजेपी!

बीजेपी अपने मौजूदा 120 में से कई विधायकों को टिकट नहीं देना चाहती है. नरेंद्र मोदी ने गुजरात के सीएम रहते ये फॉर्मूला अपनाया था. मोदी ने साल 2007 में बीजेपी के 47 मौजूदा विधायकों का टिकट काटा था. साल 2012 में भी उन्होंने बीजेपी के 30 विधायकों का टिकट काटा था और दोनों बार पहले से ज्यादा बहुमत से सरकार बनाई थी.

टिकट बांटने पर दुविधा में फंसी कांग्रेस

बीजेपी की तरह कांग्रेस भी टिकट बांटने के भंवरजाल में फंस गई है. कांग्रेस को आज सुबह टिकटों पर फैसला लेना था, लेकिन इस मुद्दे पर बैठक ही नहीं हो सकी.

कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि पार्टी अपने मौजूदा सभी 43 विधायकों को टिकट देगी. कांग्रेस को हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर के समर्थकों को भी टिकट देना होगा.

हार्दिक-अल्पेश को लेकर मुश्किल में कांग्रेस

खबर है कि हार्दिक पटेल अपने 10 साथियों के लिए और कांग्रेस में शामिल हो चुके अल्पेश ठाकोर 15 से 20 टिकट चाहते हैं. कांग्रेस ने जो आंतरिक सर्वे करवाया है, उससे असमंजस और बढ़ गया है. कांग्रेस की दुविधा ये है कि यहां पार्टी संगठन के पुराने चेहरे को टिकट दें या फिर हार्दिक और अल्पेश के समर्थकों को.

बीजेपी 50 सीटें भी मुश्किल से जीत पाएगी- सोलंकी

गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी ने कहा है, ‘’ इस वक्त गुजरात में कांग्रेस और बीजेपी की लड़ाई नहीं, बल्कि बीजेपी बनाम गुजरात की जनता की लड़ाई है. गुजरात की जनता ने बीजेपी को करारी शिकस्त देने का मन बना लिया है. हम सोच रहे थे कि कांग्रेस 120 सीटें जीतेगी, लेकिन अहमदाबाद, वडोदरा, राजकोट, सूरत, भावनगर, जामनगर और जूनागढ़ में जिस तरह हमें समर्थन मिल रहा है, उससे साफ लग रहा है कि बीजेपी 50 सीटें भी मुश्किल से जीत पाएगी.’’

राहुल गांधी के चुनाव प्रचार को गुजरात में मिल रहे समर्थन से कांग्रेस जोश में है. गुजरात में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, जबकि बीजेपी 22 साल में हासिल राजनीतिक पूंजी में से कुछ भी खोना नहीं चाहती है. ऐसे में दोनों पार्टियां उम्मीदवारों के चयन में फूंक-फूंक कर कदम रख रही हैं.

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