राजकोट: भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माने जाने वाली राजकोट-पश्चिम सीट पर पार्टी के हाई-प्रोफाइल प्रत्याशी और गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को कड़े और रोमांचक मुकाबले का सामना करना पड़ सकता है. रूपाणी को इस सीट पर कांग्रेस के इंद्रनील राज्यगुरू से चुनौती मिल रही है.


पूर्व में राजकोट दो के तौर पर जानी जाने वाली इस सीट को भगवा पार्टी के लिए सुरक्षित माना जाता है. पार्टी साल 1985 से इस सीट पर जीत हासिल करती रही है. गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान का पहला चरण नौ दिसंबर को होगा. राजकोट-पश्चिम सीट पर भी मतदान नौ दिसंबर को होगा. कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला साल 1985 से 2012 तक बीजेपी के लिए सात बार इस सीट को जीत चुके हैं. साल 1985 में उन्होंने हर्षदबा चूड़ासमा को हराया था.


नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री के तौर पर नामांकित किए जाने के बाद वाला ने 2002 में मोदी के लिए यह सीट छोड़ दी थी. बाद में मोदी के मणिनगर विधानसभा क्षेत्र का रुख करने के बाद वाला ने 2012 तक अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा. बाद में वाला को कर्नाटक भेजे जाने के बाद 2014 में विजय रूपाणी ने उपचुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की.


हालांकि राजकोट-पश्चिम आरएसएस का मजबूत गढ़ है लेकिन कांग्रेस ने राज्यगुरू को इस सीट पर खड़ा कर एक कड़ी चुनौती पेश कर दी है. जातिगत संयोजन को पार्टी के पक्ष में करने के लिए कांग्रेस ने राजकोट-पूर्व के मौजूदा विधायक राज्यगुरू को इस सीट के लिए मैदान में उतारा है.


इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए रूपाणी को आक्रोशित पाटीदारों और व्यापारी समुदाय का विश्वास जीतना होगा जिसे नोटबंदी और जीएसटी लागू किए जाने के प्रभाव का सामना करना पड़ रहा है. बीजेपी के शासन में शिक्षा और सरकारी नौकरी में आरक्षण के अभाव को लेकर पाटीदारों के गुस्से को कांग्रेस रूपाणी के खिलाफ भुनाना चाह रही है.


पार्टीदारों के बीच बीजेपी का आधार कोटा आंदोलन और हार्दिक पटेल के कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने की वजह से प्रभावित हो सकता है.