(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
गुजरात बेस्ट बेकरी आगजनी मामला: 20 साल बाद निर्दोष करार दिए गए हत्याकांड के दो आरोपी
गुजरात दंगों के दौरान वडोदरा की बेस्ट बेकरी में आग लगा दी गई थी, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई थी.
Gujarat Riots 2022: वह साल 2002 था और गुजरात हिंदू मुस्लिम दंगों की आग में जल रहा था, हर तरफ मारकाट मची हुई थी, ऐसे ही माहौल में वडोदरा शहर की बेस्ट बेकरी को पहले तो दंगाइयों ने लूटा और फिर आग लगा दी. इस घटना में 14 लोगों की मौत हो गई थी. आज यानी मंगलवार (13 जून) को इस केस में सजा काट रहे दो आरोपियों को मुंबई सेशंस कोर्ट ने निर्दोष करार दे दिया.
मंगलवार (13 जून) को सेशन कोर्ट ने दो आरोपी- हर्षद रावजी भाई सोलंकी और मफत मणिलाल गोहिल को सबूतों के अभाव में निर्दोष करार दिया. इन लोगों पर बेकरी में आग लगाकर कुल 14 लोगों को जिंदा जला देने का आरोप था.
बयान से क्यों पलटे बेस्ट बेकरी कांड के चश्मदीद?
इस मामले में वडोदरा शहर की पुलिस ने बेकरी के मालिक की बेटी और एक अन्य चश्मदीद शिकायतकर्ता जाहिरा शेख की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की थी, बेस्ट बेकरी कांड में शुरुआत में कुल 21 आरोपी बनाए गए थे. लेकिन निचली अदालत में चश्मदीद जाहिरा शेख, जाहिरा शेख की मां शहरुनिसा, छोटा भाई नसेबुल्लाह पुलिस को दिए बयान से पलट गए और 27 जून 2003 के दिन स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सभी 21 आरोपियों को बरी कर दिया.
21 आरोपी बरी तो फिर किसने लगाई आग?
गुजरात दंगों के पीड़ितों की तलाश कर रही एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड ने इस मामले को मीडिया में उठाया और मानवाधिकार आयोग के साथ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. इस मामले को उठाने के दौरान तीस्ता ने सिर्फ एक सवाल पूछा कि अगर इस मामले में 21 लोग निर्दोष हैं तो फिर आग किसने लगाई और इन लोगों की मौत कैसे हुई.
इस मामले की याची जाहिरा शेख की मांग पर मामले की सुनवाई मुंबई ट्रांसफर कर दी गई. 12 अप्रैल 2004 के दिन सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में केस ट्रांसफर कर दिया और नए सिरे से केस चलाने का आदेश दिया. 4 अक्टूबर 2004 से मुंबई के कोर्ट में चले सुनवाई के बाद 24 फरवरी 2006 में बेस्ट बेकरी केस के 9 आरोपियों को दोषी करार दिया गया था. जबकि 8 को बरी कर दिया गया और सभी 9 दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई. इस केस में 4 फरार आरोपी को साल 2013 में पकड़ा गया.
निचली अदालत के फैसले को अदालत में दी गई चुनौती
निचली अदालत के फैसले को आरोपियों ने बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी, 9 जुलाई 2012 के दिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने 4 दोषियों संजय ठक्कर, बहादुर सिंह चौहान, सना भाई बारिया और दिनेश राजभर के उम्र कैद की सजा को कायम रखा था. जबकि अन्य 5 आरोपियों राजू बारिया, पंकज गोसावी, जगदीश राजपूत और सुरेश उर्फ़ लालू, शैलेश टाडवी को बरी कर दिया था.
इस मामले में जिन चार फरार आरोपियों को बाद में पकड़ा गया उनका मुकदमा मुंबई की स्पेशल सेशन कोर्ट में चल रहा है. चार आरोपियों में से दो आरोपियों की ट्रायल के दौरान मौत हो गई. केस के दो आरोपियों हर्षद रावजी भाई सोलंकी और मफत मणिलाल गोहिल जेल में हैं और मुंबई की स्पेशल सेशन कोर्ट इन दोनों पर आज फैसला सुनाया गया और उन्हें दोष मुक्त किया गया.