Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो केस के 11 दोषियों की रिहाई से जुड़े गुजरात सरकार के आदेश को सोमवार (8 जनवरी) को रद्द कर दिया. गैंगरेप और हत्या के दोषी लगभग 15 साल जेल में बिताने के बाद अगस्त 2022 में रिहा हुए थे. शीर्ष अदालत के इस फैसले पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की.
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, ''चुनावी फायदे के लिए 'न्याय की हत्या' की प्रवृत्ति लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरनाक है. आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने एक बार फिर देश को बता दिया कि 'अपराधियों का संरक्षक' कौन है. बिलकिस बानो का अथक संघर्ष, अहंकारी बीजेपी सरकार के विरुद्ध न्याय की जीत का प्रतीक है.''
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि मुकदमा महाराष्ट्र में चला था इसलिए गुजरात सरकार दोषियों की रिहाई पर फैसला नहीं ले सकती थी.
क्या था पूरा मामला?
2002 के गुजरात दंगों के दौरान दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की बिलकिस अपने परिवार के 16 सदस्यों के साथ भाग कर पास के गांव छापरवाड के खेतों में छिप गई थी. 3 मार्च 2002 को वहां 20 से अधिक दंगाइयों ने हमला बोल दिया था. 5 माह की गर्भवती बिलकिस समेत कुछ और महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया. बिलकिस की 3 साल की बेटी समेत 7 लोगों की हत्या कर दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र ट्रांसफर किया था मुकदमा
आरोपियों की तरफ से पीड़ित पक्ष पर दबाव बनाने की शिकायत मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमा महाराष्ट्र ट्रांसफर कर दिया था. 21 जनवरी 2008 को मुंबई की विशेष सीबीआई कोर्ट ने 11 लोगों को उम्र कैद की सजा दी. 2017 में बॉम्बे हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी सजा को बरकरार रखा.