MPLAD Funds: देश के हर सांसद को संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास निधि (एमपीलैड) योजना के तहत विकास कार्यों के लिए धन आवंटित किया जाता है. सियासी अपवादों को छोड़ दें तो ऐसा कम ही होता है, जब कोई सांसद अपनी पूरी निधि का इस्तेमाल कर ले. इसकी बानगी गुजरात के 26 बीजेपी सांसदों ने भी दिखा दी है.
गुजरात के सांसदों ने संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास निधि (एमपीलैड) योजना के तहत मिलने वाले फंड्स का 48 फीसदी हिस्सा इस्तेमाल ही नहीं किया. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.
सरकारी खजाने में पड़ी रही 48 फीसदी रकम
गुजरात के 26 बीजेपी सांसदों ने 230 करोड़ रुपये (ब्याज सहित) खर्च किया, जो 442 करोड़ रुपये की सांसद निधि यानी एमपीलैड फंड का करीब 52 फीसदी है. इस लिहाज से देखा जाए तो सांसद निधि का 48 फीसदी हिस्सा बीजेपी सांसदों ने इस्तेमाल ही नहीं किया.
लोकसभा चुनाव 2019 में गुजरात की सभी 26 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी. गुजरात पीएम नरेंद्र मोदी का गृहराज्य भी है और वे यहां से तीन बार सीएम रह चुके हैं.
क्या होती है एमपीलैड योजना?
संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास निधि (एमपीलैड) योजना दिसंबर 1993 में शुरू की गई थी. 2019 से 2024 के बीच कोविड महामारी की वजह से यह योजना डेढ़ साल के लिए रुक गई थी. इस योजना के तहत हर राज्य के सांसदों को 25 करोड़ रुपये की सांसद निधि आवंटित की जाती है.
गुजरात के हर सांसद को आवंटित हुए थे 25 करोड़ रुपये
गुजरात की बात करें तो राज्य के 26 सांसदों को सामान्य तौर पर अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए 25 करोड़ रुपये आवंटित होते हैं. कोविड महामारी की वजह से ये राशि 17 करोड़ रुपये कर दी गई थी. इस हिसाब से गुजरात के 26 सांसदों के लिए एमपीलैड योजना के तहत कुल सांसद निधि 442 करोड़ रुपये थी. इसके बावजूद ये सांसद अपनी कुल सांसद निधि का केवल 52 फीसदी हिस्सा ही इस्तेमाल कर सके.
हालांकि, 26 सांसदों ने मिलकर 354 करोड़ रुपये के कार्यों की सिफारिश की, जिनमें से 269 करोड़ रुपये के कार्यों को मंजूरी दी गई. इन कार्यों के लिए 220 करोड़ रुपये की धनराशि भारत सरकार की ओर से जारी भी की गई.
कैसे जारी होती है सांसदों को निधि?
केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई 220 करोड़ की राशि सांसदों को आवंटित कुल सांसद राशि का केवल 49.77 फीसदी है. आमतौर पर विकास कार्यों के लिए सांसद निधि का इस्तेमाल सांसदों की अनुशंसा पर ही किया जाता है. अगर सांसद विकास कार्यों के लिए अनुशंसा नहीं करेंगे तो केंद्र सरकार की ओर से फंड जारी नहीं किया जाता है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी खर्च के मामले में पिछड़े
एडीआर की ओर से साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्वाचन क्षेत्र गांधीनगर में सबसे ज्यादा 3.54 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए गए. इसके बाद कच्छ के विनोद चावड़ा ने 2.35 करोड़ रुपये, खेड़ा के देवुसिंह चौहान ने 2.35 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए. जामनगर की पूनमबेन माडम 2.19 करोड़ रुपये और पाटन की भरतसिंह डाभी 2.01 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए हैं.
गुजरात में विकास के कुल स्वीकृत कार्यों में से सबसे ज्यादा 114.81 करोड़ रुपये रेलवे, सड़क, रास्ते और पुलों पर खर्च किए गए हैं. वहीं, 71.32 करोड़ रुपये अन्य सार्वजनिक सुविधाओं पर खर्च किए गए हैं.
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