UCC In Gujarat: गुजरात (Gujarat) के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल (Bhupendra Patel) ने राज्य में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने के लिए एक समिति गठित करने का फैसला लिया है. शनिवार (29 अक्टूबर) को कैबिनेट की बैठक में सीएम पटेल ने यह फैसला लिया. समिति का गठन हाई कोर्ट (High Court) के रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में किया जाएगा. गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने के लिए कमेटी बनाने का फैसला ऐसे वक्त लिया है जब राज्य में जल्द विधानसभा (Gujarat Assembly Election) का चुनाव होने वाला है. 


गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने कहा, ''पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सीएम भूपेंद्र पटेल ने आज कैबिनेट बैठक में राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए कमेटी बनाने का ऐतिहासिक फैसला लिया है.'' समिति में शामिल किए जाने वाले लोगों के नामों की घोषणा होना बाकी है.


केंद्रीय मंत्रियों की प्रतिक्रिया


केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने से सभी लोगों को एकसमान अधिकार मिलेगा. गुजरात सरकार की इस घोषणा से देश में इस कड़ी को आगे बढ़ाने का श्रेय मिलेगा. उन्होंने कहा कि समिति में कम से कम चार लोग रहेंगे. 


रेल राज्य मंत्री दर्शना जरदोश ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने ट्वीट में लिखा, ''गुजरात सरकार समान नागरिक संहिता के जरिये राज्य के प्रत्येक नागरिक को समान कानूनी सुरक्षा और संरक्षण प्रदान करने के लिए तैयार है. मैं इस कानून का स्वागत करती हूं और एकरूपता लाने के इस ऐतिहासिक फैसले के लिए सीएम भूपेंद्र पटेल और गुजरात सरकार को बधाई देती हूं.''






उत्तराखंड सरकार पहले से करा रही रायशुमारी


इसी साल 27 मार्च को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में समान नागरिक संहिता को लेकर पांच सदस्यीय समित का गठन किया था. समिति ने समान नागरिक संहिता पर रायशुमारी के लिए आठ सितंबर को वेबसाइट लॉन्च की थी. इसके अलावा, लोगों से डाक और ईमेल के माध्यम से भी सुझाव मांगे गए थे.


उत्तराखंड में समिति को लिखित रुप से मिले सुझावों की संख्या साढ़े तीन लाख से ज्यादा बताई जा रही है. डाक, ईमेल और ऑनलाइन सुझावों की मिलाकर यह संख्या साढ़े चार लाख से ज्यादा बताई जा रही है. समिति से छह महीने में रिपोर्ट सीएम को सौंपने के लिए कहा गया था.


समान नागरिक संहिता की जरूरत क्यों?


समान नागरिक संहिता का मतलब है कि किसी भी धर्म, जाति या लिंग के लोगों के लिए एक समान नियमों का होना. जानकारों का मत है कि शादी, तलाक, बच्चा गोद लेने या संपत्ति के बंटवारे जैसे मसलों में समान नियमों के तहत फैसले किए जाने से न्यायपालिका का बोझ हल्का हो जाएगा. इसी के साथ कानून में सबके लिए समानता से राष्ट्रीय एकता को मजबूती मिलेगी.


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