Hardik Patel: क्या बीजेपी में शामिल होंगे हार्दिक पटेल? अटकलों के बीच खुद कही ये बड़ी बात
हार्दिक पटेल (Hardik Patel) ने कहा कि मैं राहुल गांधी या प्रियंका गांधी से नाराज नहीं हूं. मैं प्रदेश (गुजरात) नेतृत्व से नाराज हूं.
Gujarat Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल के बीजेपी में शामिल होने को लेकर अटकलें लगाई जा रही है. इस बीच खुद हार्दिक पटेल ने कहा है कि मैं कार्यकर्ताओं के हितों की लड़ाई लड़ रहा हूं. नाराजगी परिवार में रहती है, हकीकत में तबीयत खराब नहीं थी, लोगों ने पूछ पूछ कर खराब कर दी. हमें भी पावरफूल बनना पड़ेगा.
उन्होंने बीजेपी की तारीफ के सवाल पर कहा कि तारीफ तो मैंने बाइडेन की भी की थी तो क्या मैं बाइडेन के साथ चला गया. गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने कहा, ''मैं राहुल गांधी या प्रियंका गांधी से नाराज नहीं हूं. मैं प्रदेश नेतृत्व से नाराज हूं. मैं परेशान क्यों हूं? चुनाव आ रहे हैं और ऐसे समय में ईमानदार और मजबूत लोगों के साथ मिलकर काम करना चाहिए. उन्हें पद दिया जाना चाहिए.''
#WATCH | Gujarat Congress Working Pres Hardik Patel speaks on speculations about him joining BJP
— ANI (@ANI) April 25, 2022
"People will talk.I praised Joe Biden when he won US polls as VP has Indian origins.Does it mean I'm joining his party? If rival does something praiseworthy, need to see that too..." pic.twitter.com/Rx6SBpSTte
उन्होंने कहा, ''पार्टी को मजबूत करने के लिए ग्रामीण स्तर पर काम करने वाले लोगों को मौका दिया जाना चाहिए. चुनाव का समय है, गांवों में जाओ, शहरों में मेहनत करो. जहां तक परेशान होने की बात है तो परिवार में सवाल उठते हैं और बातचीत होती है. मैंने पहले भी स्पष्ट किया था कि अफवाहें न फैलाएं.''
गुजरात में इस साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. विधानसभा चुनावों से पहले पाटीदार नेता नरेश पटेल को पार्टी में शामिल करने के कांग्रेस के प्रयासों से हार्दिक नाराज बताए जा रहे हैं और उनका मानना है कि अगर नरेश पार्टी में शामिल होते हैं तो पाटीदार समुदाय के नेता के रूप में उनका (हार्दिक का) प्रभाव खत्म हो जाएगा.
पिछले दिनों उन्होंने बीजेपी की तारीफ भी की थी. हार्दिक पटेल ने ‘फैसला लेने की क्षमता’ के लिए सत्तारूढ़ बीजेपी की तारीफ करते हुए कहा था कि विपक्षी दल (कांग्रेस) की प्रदेश इकाई नेतृत्व में इसका (निर्णय लेने की क्षमता का) अभाव है.
गौरतलब है कि 2015 में ओबीसी श्रेणी में पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग के आंदोलन का नेतृत्व हार्दिक ने किया था और वहीं से वह राजनीतिक फलक पर उभरे थे.