अहमदाबाद: गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले सूबे का सियासी माहौल गरमा गया है. राज्य में कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेता और पूर्व सीएम शंकर सिंह वाघेला ने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफे का एलान किया. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ किया कि वो न तो किसी दूसरी पार्टी का दामन थाम रहे हैं और नहीं ही अपनी कोई नई पार्टी का गठन कर रहे हैं.
अपने 77वें बर्थडे के मौके पर बुलाए गए सम्मेलन में राजनीति की दुनिया बड़े और पुराने खिलाडी शंकर सिंह वाघेला ने राजनीति से संन्यास का एलान किया. उन्होंने अपने इस फैसले का एलान गांधीनगर में किया.
शंकर सिंह वाघेला का कांग्रेस पार्टी छोड़ना कयास के एन मुताबिक रहा है, क्योंकि बीते कुछ दिनों से जिस तरह राजनीति के गलियारों में वाघेला दिख रहे थे उससे जाहिर था कि वो कांग्रेस से अपना नाता तोड़ सकते हैं. यानि पहले ही से ये कयास लगाए जा रहे थे कि वो कांग्रेस छोड़ने का एलान कर सकते हैं. वाघेला पहले से ही कांग्रेस नाराज थे. 15 दिन पहले उन्होंने गांधीनगर में एक सम्मेलन किया था, जिसमें कांग्रेस के खिलाफ जमकर बयानबाजी की थी.
दिलचस्प बात ये है कि अपने इस्तीफे के एलान से एक घंटे पहले खुद शंकर सिंह वाघेला ने मंच से कहा था कि 24 घंटे पहले ही उन्हें कांग्रेस से निकाल दिया गया है. हालांकि, तब कांग्रेस के उच्च सूत्रों ने वाघेला इस दावे का खंडन किया था.
वाघेला का दर्द
कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों प्रदेश अध्यक्ष जैसे बड़े पद पर रह चुके शंकर सिंह वाघेला ने इस मौके पर केशूभाई पटेल की सरकार से खुद के हटने से लेकर कांग्रेस छोड़ने का जिक्र किया और इस दौरान अपना दर्द बयान किया. दिलचस्प बात ये है कि सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहम भाई पटेल का शुक्रिया जरूर अदा किया. उनकी मदद को आज भी सराहा. उन्होंने कहा कि वो अहमद भाई पटेल के आभारी हैं जिन्होंने उनकी सही समय पर मदद की. केशूभाई से दूरी पर कहा, "केशुभाई पटेल की सरकार में मैं पराया हो गया इसलिए मैं सरकार से अलग हुआ."
कांग्रेस से अपने रिश्तों को बयान करते हुए शंकर सिंह वाघेला ने कहा कि वो कांग्रेस सेवा दल में रहे और उन्होंने पार्टी की खूब सेवा की. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस से उनका पुराना नाता रहा है.
शंकर सिंह वाघेला ने अपने ट्विटर अकाउंट के स्टेटस से कांग्रेस का पद हटा दिया है, साथ ही अब किसी भी कांग्रेसी को फॉलो नहीं कर रहे हैं.
कांग्रेस-एनसीपी के विधायक साथ में
जब शंकर सिंह वाघेला अपनी बात रख रहे थे तब मंच पर कांग्रेस विधायक राघवजी पटेल और NCP के विधायक कांधल और बोस्की भी मौजूद थे.
कांग्रेस से दूरी और किसी पार्टी में नहीं जाने के एलान के बाद भी कई सवालों की चर्चा हो रही है. सवाल पूछा जा रहा है ति वाघेला का अगला कदम क्या होगा? आखिर वो राजनीति में किस का समर्थन करेंगे. अपने बेटे को कैसे मजबूत करेंगे. ये सवाल बना हुआ.
आपको बता दें कि वाघेला ने आज अपने जन्मदिन पर सम-संवेदना समारंभ के नाम से एक बड़ा आयोजन किया. वाघेला ने इस सम्मेलन में कांग्रेस के सभी विधायकों के अलावा एनसीपी के दो और जेडीयू के एक विधायक को भी न्योता दिया.
गुजरात में बढ़ेगी कांग्रेस की मुश्किल
कयास ये भी हैं कि वाघेला के नए फैसले पर कुछ कांग्रेस विधायक भी उनके समर्थन में पार्टी छोड़ सकते हैं. राष्ट्रपति चुनाव में गुजरात कांग्रेस के कुछ विधायकों ने रामनाथ कोविंद को वोट दिया है. अगले महीने गुजरात की तीन राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने है. इनमें एक सीट कांग्रेस कोटे की है. कांग्रेस को जीत के लिए 47 विधायकों का समर्थन चाहिए. राज्य में पार्टी के 57 विधायक हैं, लेकिन वाघेला समर्थक विधायकों ने साथ छोड़ा तो कांग्रेस के लिए एक नई परेशानी खड़ी हो सकती है.