नई दिल्ली: गुजरात ऐसा राज्य है जहां पिछले 25 साल से कांग्रेस सत्ता से बाहर है. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पूरी ताक़त झोंक दी पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत को गुजरात का महासचिव बनाकर चुनाव लड़ा. यहां तक कि राहुल गांधी का जनेऊ अवतार भी गुजरात चुनाव में ही पहली बार देखने को मिला था.
2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 77 सीटें मिलीं जबकि मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी नहीं थे. उस चुनाव के बाद राहुल गांधी ने युवा चेहरे अमित चावड़ा को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी तो वहीं परेश धनानी को विधायक दल का नेता बनाया. लगभग तीन सालबीत जाने के बाद भी दोनों युवा नेताओं में समझौता नहीं हो पाया और संगठन के स्तर पर पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा.
अब कांग्रेस आलाकमान दोनों ही युवा नेताओं को बदलने पर विचार विमर्श कर रहा है. हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने दो उम्मीदवार भरत सिंह सोलंकी और शक्ति सिंह गोहिल को मैदान में उतारा थालेकिन दो वोटों से भरत सिंह सोलंकी चुनाव हार गए.
इससे पहले राहुल गांधी ने भी गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष अमित चावड़ा और विधायक दल के नेता परेश धनानी को दिल्ली बुलाकर साफ़ कहा दिया था कि “अगर आप मिलकर काम नहीं कर सकते तो गुजरात में और बहुत नेता है जो पार्टी के लिए काम करने को तैयार हैं.”
राहुल गांधी की इस नसीहत के बाद भी ज़्यादा कुछ नहीं बदला और अब आख़िर में बस कांग्रेस आलाकमान को उपचुनाव के नतीजों का इंतज़ार है.
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