दो समलैंगिक महिला पुलिसकर्मियों की कहानी जिनकी हिफाजत अब बंदूकधारी सुरक्षाकर्मी करेंगे
आज भी समलैंगिक संबंधों को भारतीय समाज में स्वीकार नहीं किया जाता है लेकिन गुजरात में एक ऐसा मामला सामने आया है जो आपको हैरानी में डाल देगा.
![दो समलैंगिक महिला पुलिसकर्मियों की कहानी जिनकी हिफाजत अब बंदूकधारी सुरक्षाकर्मी करेंगे Gujarat court grant armed security to lesbian women due to life threat दो समलैंगिक महिला पुलिसकर्मियों की कहानी जिनकी हिफाजत अब बंदूकधारी सुरक्षाकर्मी करेंगे](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/09/08174748/Lesbian1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
साल 2018 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि समलैंगिक संबंध आपराधिक कृत्य नहीं माने जाएंगे. इसके बावजूद देश में सदियों से चले आ रहे दस्तूर और मान्यताओं को मानने वालों की कमी नहीं है. इसकी वजह से आज भी बड़े पैमाने पर समलैंगिक संबंधों को भारतीय समाज में स्वीकार नहीं किया जाता है. ऐसे में गुजरात से एक मामला सामने आया है जिसमें अदालत ने दो समलैंगिक महिलाओं को सुरक्षाकर्मियों की सुरक्षा देने का फैसला दिया.
गुजरात से आया मामला गुजरात में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने लोगों को हैरानी में डाल दिया है लेकिन ये खबर उस बात की भी बानगी है कि भारतीय समाज में आज भी समलैंगिक लोगों या समलैंगिक कपल को किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. हालांकि हमारी न्यायिक प्रणाली भी किसी ऐसे कृत्य को इजाजत नहीं देती जो उसके दिए गए फैसले की राह में आड़े आ रहा हो.
सुरक्षा के लिए कोर्ट पहुंचीं समलैंगिक महिलाएं मामला गुजरात के एक दूरस्थ गांव का है जहां 24 वर्षीय दो महिलाएं जो कि पुलिसकर्मी भी हैं समलैंगिंक संबंधों के कारण समाज के निशाने पर आ गईं और उन्हें अदालत से इसको लेकर सुरक्षा की गुहार लगानी पड़ी. 2017 में दो महिला सुरक्षाकर्मी अपने ट्रेनिंग के दौरान एक दूसरे से मिलीं और जल्द ही उनकी ये मुलाकात प्यार में बदल गई. दोनों महिला पुलिसकर्मी 2018 से एक समलैंगिक कपल के तौर पर रह रही हैं लेकिन इसके बावजूद वो लगातार लोगों के निशाने पर बनी रहीं. उनकी कहानी पिछले महीने तब सुर्खियों का हिस्सा बन गई जब वो सुरक्षा के लिए हाई कोर्ट पहुंच गईं.
अदालत ने दिया अभूतपूर्व फैसला समलैंगिक महिलाओं ने बताया कि उनके परिवार इस रिश्ते के बेहद खिलाफ हैं और उन्हें डरा-धमका रहे हैं. इससे बचाव के लिए उन्होंने हाई कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की जिसमें दोनों ने पुलिस सुरक्षा की मांग की. इसके बाद अदालत ने फैसला दिया कि समलैंगिक कपल को बंदूकधारी सुरक्षाकर्मी उन्हें सुरक्षा देंगे.
दोनों महिलाएं हैं पुलिसकर्मी दोनों महिलाकर्मी गुजरात के ऐसे गांव से आती हैं जहां पितृ सत्तात्मक सोच सर्वोच्च होती है और रूढ़िवादिता लोगों के दिलों-दिमाग पर हावी है. दोनों का ही मानना था कि वो समाज के ऐसे खोखले बंधनों को तोड़ना चाहती थीं और ऐसे क्षेत्र में अपना नाम बनाना चाहती थीं जिसमें केवल पुरुषों का वर्चस्व रहा है. लिहाजा दोनों ने ही पुलिस में शामिल होने का फैसला लिया.
कैसे शुरू हुआ सिलसिला दोनों महिलाएं 2017 में पुलिस की ट्रेनिंग के दौरान एक ही कमरे में रहती थीं और शुरुआत से ही दोनों की सोच एक जैसी थी जिसकी वजह से उनके संबंध प्रगाढ़ होने लगे और धीरे-धीरे उनका रिश्ता दोस्ती से आगे बढ़ा. वो एक दूसरे से अपने जीवन की हर बात-हर सुख-दुख को बांटने लगीं. ट्रेनिंग खत्म करने के बाद जब उनकी पोस्टिंग एक ही शहर में हुई तो उन्होंने पुलिस विभाग के दिए क्वार्टर में रहने का फैसला लिया और वहां भी उनका साथ बना रहा.
परिवार को पता चला तो मिलने लगी धमकियां हालांकि समय के साथ उन्हें एहसास हो गया कि वो सिर्फ दोस्त नहीं बल्कि हमसफर के तौर पर एक दूसरे को देखती हैं और इस बात को लेकर जब उन्होंने अपने-अपने परिवार को बताया तो उनके घरों में मानों भूचाल आ गया. दोनों के परिवार पूरी तरह इस रिश्ते के खिलाफ थे लेकिन स्थिति तब गंभीर हो गई जब उन्हें एक बार बीच रास्ते में रोककर धमकाया गया और एक बार तो उनके पुलिस क्वार्टर पर आकर उनके घरवालों ने हंगामा किया.
दोनों महिलाओं को मिली सुरक्षा इतना ही नहीं कुछ दिन पहले उन्हें जान की धमकी वाला एक पत्र मिला जिसके बाद उन दोनों ने फैसला लिया कि वो अदालत की शरण लेंगी. दोनों का कहना है कि वो खुश हैं कि कोर्ट ने उनकी बात समझी और उन्हें सुरक्षा प्रदान की. हालांकि भारत में अभी समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं है लेकिन इसके लिए वो दोनों आशावान हैं. दोनों का कहना है कि वो आगे चलकर किसी बच्चे को गोद लेने के विषय में भी सोच रही हैं अगर कानून उन्हें इस बात की इजाजत देता है तो.
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