जानिए, आखिर क्यों सूरत में बेअसर रहे नोटबंदी और GST जैसे मुद्दे?
व्यापारियों के शहर सूरत में नोटबंदी और जीएसटी सबसे बड़ा मुद्दा बताया जा रहा था लेकिन ये मुद्दे नतीजों में बेअसर साबित हो रहे हैं, बीजेपी तेजी से जीत की ओर बढ़ रही है.
नई दिल्लीः गुजरात के शहरी इलाकों में बीजेपी को शानदार बढ़त मिली है. सूरत की बात करें तो इसके शहरी इलाकों में कुल 12 सीट और आस-पास के छोटे इलाकों को मिला दें तो कुल 16 सीटें हैं. शहर की 12 में से 10 सीटों पर भारी अंतर से बीजेपी आगे चल रही है वहीं दो सीट पर बीजेपी और कांग्रेस की कड़ी टक्कर है. व्यापारियों के शहर सूरत में नोटबंदी और जीएसटी सबसे बड़ा मुद्दा बताया जा रहा था लेकिन ये मुद्दे नतीजों में बेअसर साबित हो रहे हैं. सूरत में बीजेपी की जीत और कांग्रेस की हार का बड़ा कारण क्या है ये हमारे सूरत एक्सपर्ट ने बताया
एबीपी न्यूज को सूरत की राजनीति के एक्सपर्ट निखिल मद्रासी ने बताया कि ''गुजरात की बड़ी और बेहद अहम सीट सूरत में कुल 12 सीटें हैं जिनमें से 10 सीटों पर बीजेपी काफी आगे चल रही है. लेकिन दो सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर चल रही है. सूरत व्यापारियों का गढ़ है. जीएसटी और नोटबंदी यहां सबसे बड़े मुद्दे माने जा रहे थे लेकिन इन नतीजों को देखा जाए तो साफ पता चलता है कि यहां जीएसटी और नोटबंदी कोई मुद्दा नहीं था.
उन्होंनें आगे बताया कि ''ज्यादातर जीएसटी से परेशान व्यापारी वर्ग मजुरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. यहां बीजेपी के हरेश संधवी काफी पैठ वाले नेता है. पिछली बार भी वह बड़े अंतर से चिनाव जीते थे और बार भी वो 70 हजार वोटों से आगे हैं. ऐसे में अगर कुछ व्यापारी वर्ग कांग्रेस के खाते में गया भी होगा तो भी कांग्रेस को कोई फायदा नहीं हो पाया. ''
पटेलों का जिक्र करते हुए कहा कि ''सूरत पाटीदार आंदोलन का भी खास गढ़ रहा है. यहां कांग्रेस के लिए पटेल फैक्टर काम नहीं आया. इसकी खास वजह रही हार्दिक पटेल का राजनीति में आना. आंदोलन के दौरान समुदाय ने हार्दिक को पसंद किया उनका साथ दिया लेकिन जब उन्हें लगा कि पाटीदार समुदाय की बात करतने वाले हार्दिक राजनीति में जा रहे हैं तो उन्हें पटेलों ने खारिज कर दिया.''
आपको बता दें गुजरात और हिमाचल दोनों ही जगह बीजेपी को जीत हासिल हुई है. गुजरात में बीजपी 102 से 103 सीटों पर आगे चल रही है वहीं कांग्रेस 75 से 77 सीटों पर सिमट रही है.