अहमदाबाद: गुजरात में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में एक ओर बीजेपी को जीत मिली है. वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस के खेमे में हारने वालो में एक मौजूदा विधायक और सात विधायकों के बेटे भी शामिल हैं. राज्य में 28 फरवरी को हुए मतदान के बाद 81 नगर पालिकाओं, 31 जिला पंचायतों और 231 तालुका पंचायतों में मतगणना जारी है.


इस चुनाव में सबसे बड़ा झटका आनंद जिले के पेटलाड से तीन बार के कांग्रेस विधायक निरंजन पटेल को लगा है जिन्हें पेटलाड नगरपालिका के वार्ड संख्या दो और पांच से हार मिली है. उनके बेटे सौरभ पटेल को भी इसी नगरपालिका में बीजेपी से हार मिली है.


आनंद के सोजित्रा से कांग्रेस विधायक पूनमभाई परमार के बेटे विजय परमार को भी बीजेपी उम्मीदवार से तारापुर तालुका पंचायत के मोराज सीट से हार मिली है जबकि उनके भतीजे निकुंज परमार को भी हार का सामना करना पड़ा है. खेडब्रह्मा से कांग्रेस विधायक अश्विन कोतवाल के बेटे यश कोतवाल को भी साबरकांठा के आदिवासी बहुत विजयनगर तालुका पंचायत के चैतरिया से हार मिली है.


भिलोडा से कांग्रेस विधायक अनिल जोशियारा के बेटे केवल को भी अरावली जिले के भिलोड़ा तालुका पंचायत के उपसल सीट से हार का स्वाद चखना पड़ा है. गिर सोमनाथ के उना से छह बार के कांग्रेस विधायक पंजा वंश के बेटे परेश वंश को भी बीजेपी के प्रतिद्वंद्वी से राजपाड़ा से हार मिली है.


देवभूमि द्वारका के खम्भालिया से कांग्रेस विधायक विक्रम मदम को जिला पंचायत के वडतारा सीट से बेटे करण की हार देखनी पड़ी है जबकि पूर्व गुजरात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया के भाई रामदेव मोढवाडिया को पोरबंदर तालुका पंचायत के किंदरखेड़ा सीट से हार का सामना करना पड़ा है.


भारतीय ट्राइबल पार्टी के विधायक छोटे वसावा के बेटे दिलीप वसावा भी भरुच जिले के राजपरदी सीट पर चुनावी परीक्षा उत्तीर्ण करने में असफल रहे. संयोगवश बीजेपी ने इस चुनाव में मौजूदा जनप्रतिनिधियों के बेटे-बेटियों को टिकट नहीं देने का फैसला किया था.


प्राइवेट नौकरियों में हरियाणा के लोगों के लिए आरक्षित होंगी 75 फीसदी सीटें, राज्यपाल ने बिल को दी मंजूरी