Gujarat Election: शहरी सीटों पर हमेशा रही है BJP की धाक, अबकी बार लड़ाई में कहां हैं कांग्रेस-AAP?
Gujarat Election 2022: गुजरात में 1 दिसंबर और 5 दिसंबर को चुनाव होंगे. 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे. लिहाजा 8 दिसंबर को पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी.
Gujarat Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव अपने पूरे चरम पर है. प्रदेश में इस बार बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है. पिछले 27 साल से सत्ता में काबिज बीजेपी इस बार भी वापसी के लिए पूरा जोर लगा रही है, वहीं कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी अपनी पूरी ताकत झोंकने में लगी है. AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी भी मुस्लिम बहुल सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं.
पिछले कुछ चुनावों के अनुसार गुजरात में सत्ता का निर्धारण शहरी वोटर करता है. बीजेपी को पिछले 27 साल से सत्ता में बिठाने में शहरी मतदाताओं का बड़ा हाथ है. राज्य की 44 शहरी सीटों पर 1995 के बाद से बीजेपी की तूती बोलती है. इन्हीं सीटों के भरोसे बीजेपी हर बार सत्ता तक पहुंचने में कामयाब होती रही है. 2017 में हुए कड़े मुकाबले में बीजेपी 99 सीटों पर सिमट गई थी, लेकिन इन 44 सीटों में से 38 पर कमल खिला था. इन्हीं सीटों की वजह से कांग्रेस के हाथ में सत्ता आते-आते फिसल गई थी.
शहरी सीटों पर है BJP की धाक
2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 44 शहरी सीटों में से 40 पर जीत हासिल की थी. 2017 में बीजेपी को सिर्फ 99 सीटें मिली थीं. साल 1995 के बाद से बीजेपी की ये सबसे छोटी जीत थी. उस चुनाव में हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर की तिकड़ी ने कांग्रेस को फायदा पहुंचाया था. हालांकि इसके बाद भी बीजेपी को सत्ता से दूर नहीं कर पाए थे.
अब कितने बदल चुके हैं समीकरण
अब इन सीटों के समीकरण पूरी तरह से बदल चुके हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी के खिलाफ चक्रव्यूह तैयार करने वाली तिकड़ी में से हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर अब बीजेपी के साथ हैं. इस बार वे बीजेपी की टिकट पर चुनावी मैदान में उतरकर विरोधियों के खिलाफ तीर चलाएंगे. चुनावी रणनीतिकार कहते हैं कि श्रद्धा मर्डर केस का बीजेपी को फायदा मिल सकता है.
गुजरात में AAP की सियासी ताकत
गुजरात की 44 शहरी विधानसभा सीटें 8 महानगर पालिकाओं- अहमदाबाद, सूरत, राजकोट, गांधीनगर, भावनगर, जामनगर और जूनागढ़ में आती हैं. इसी साल हुए स्थानीय निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा था. सूरत के मेयर पद के अलावा पार्टी के कई पार्षद जीते थे. यही वजह है कि केजरीवाल इस बार गुजरात में AAP की सरकार बनने का दावा कर रहे हैं.
कांग्रेस को हल्के में लेना बड़ी भूल
चुनावी रणनीतिकारों का मानना है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के आने से गुजरात चुनाव का समीकरण बदल सकता है. अभी तक जो मामला कांग्रेस लड़ाई से बाहर समझी जा रही थी. इसका सीधा फायदा केजरीवाल को मिल रहा था, लेकिन राहुल के उतरने के बाद मामला त्रिकोणीय हो जाएगा. प्रदेश में अभी भी कांग्रेस का कोर वोटर है, जो राहुल के आने के बाद सक्रिय हो जाएगा. लोगों का कहना है कि यदि राहुल थोड़ा पहले आते तो मुकाबला बड़ा दिलचस्प हो जाता.