Gujarat Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आते ही राज्य के नेताओं ने टिकट पाने की ख्वाहिश में पाले बदलने शुरू कर दिए थे. पार्टी बदलने की सिलसिला बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तीनों में ही हुआ है. दल बदलने के इतिहास काफी पुराना है, लेकिन 1990 के बाद से गुजरात में हुए 6 विधानसभा चुनावों हर बार दलबदलु नेताओं की संख्या काफी रही है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात विधानसभा चुनावों में दलबदलुओं की जीत का आंकड़ा देखने से पता चलता है कि यह दल बदलने वाले नेताओं के लिए सबसे फायदेमंद रहा है. 1990 के विधानसभा चुनाव में दल बदलकर चुनाव लड़ने वाले 66 नेताओं में से 31 जीत कर विधानसभा पहुंचे. यह पूरी जीत का 47 फीसदी था.
1990-95 दलबदलुओं के लिए अच्छे रहे
पांच साल बाद हुए 1995 के विधानसभा चुनाव में दलबदलुओं संख्या बढ़कर 100 को पार कर गई थी. दल बदलकर चुनाव लड़ने वाले इन नेताओं में से रिकॉर्ड 41 उम्मीदवार जीत कर विधानसभा पहुंचे. इसको ऐसे भी समझा जा सकता है कि हर 10 विद्रोहियों प्रत्याशियों में से 4 से ज्यादा उम्मीदवारों ने अपनी सीटों पर जीत हासिल की.
इन दो चुनावों में दल- बदलू नेताओं को मिली जीत से गुजरात में उनके हौसले और बुलंद हुए और उन्हें एक तरह से पार्टी बदलने के लिए प्रेरित किया. ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि बीजेपी के नेताओं ने गुजरात विधानसभा चुनावों से पहले बगावती तेवर अपनाए हुए हैं और कम से कम दर्जन भर सीटों से ऑफिसियल पार्टी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. ऑफिसियल पार्टी उम्मीदवार का मतलब ऐसा उम्मीदवार है जो चुनाव संहिता की निर्धारित शर्तों को पूरा करता है और चुनाव आयोग की तरफ से उसे चुनाव लड़ने के लिए प्रमाणित होता है.
1995 के बाद से 36 दलबदलु जीते
अशोक विश्वविद्यालय के त्रिवेदी सेंटर फॉर पॉलिटिकल डेटा के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, पिछले पांच चुनावों में, 261 दलबदलु नेताओं ने चुनाव लड़ा. इनमें से 36 प्रत्याशी जीते है. हालांकि, आंकड़े बताते हैं कि बागियों की जीतने की औसत उन पार्टियों में शामिल होने के बाद भी नहीं सुधरी. 1995 के बाद से हर विधानसभा चुनाव में जो 36 दलबदलू नेता जीते थे, उनमें से 15 (42 फीसदी) बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर जीते. जबकि, 13 उम्मीदवारों ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की.
इस विधानसभा चुनाव में भी दल बदलकर चुनाव लड़ने वाले नेताओं की संख्या काफी है. ऐसे में क्या बागी नेता गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 की दिशा बदल सकते हैं?