Gujarat Election 2022: नर्मदा जिले के केवड़िया में देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची मूर्ति (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का साल 2018 में उद्घाटन किया था. इस विशाल मूर्ति का उद्घाटन होने के बाद गुजरात में यह पहला विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. आज चार साल के बाद स्टैच्यू ऑफ यूनिटी गुजरात का एक प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट है. इन सबके बावजूद बीजेपी यहां विरोध का सामना कर रही है.


नर्मदा जिले में नांदोड (एसटी आरक्षित) विधानसभा सीट है. केवडिया इसी के अंतर्गत आता है. 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने यह सीट बीजेपी से जीत ली थी. इस बार नांदोड विधानसभा सीट बीजेपी के लिए जीतना जरूरी है. दरअसल इस सीट पर बीजेपी का बहुत कुछ दांव लगा है, क्योंकि यहीं स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और सरदार सरोवर बांध दोनों स्थित हैं. यह मोदी सरकार की दो महत्वकांक्षी परियोजनाएं हैं. यह योजनाएं बीजेपी के चुनावी अभियान के केंद्र में भी हैं. 


स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को कैसे देखते हैं आदिवासी?
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है, यह मोदी सरकार के लिए भले ही एक उपलब्धि हो, लेकिन यह यहां के आदिवासियों को उतनी आकर्षित नहीं करती. दरअसल, यहां के आदिवासियों ने इन दोनों परियोजनाओं के लिए अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया और बहुत कुछ खोया है. सराकर पर आरोप है कि सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड परियोजना के लिए यहां के निवासियों की जमीन अधिग्रहीत कर ली, जिसकी वजह से उन्हें विस्थापित और रोजगार खोना पड़ा. वहीं, कोर्ट ने भी आदिवासियों की दलील को खारिज कर दिया. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और सरदार सरोवर बांध के निर्माण के दौरान आदिवासियों ने जमकर विरोध किया था.   


अपनी दुकान छोड़नी पड़ी- स्थानीय
इंडियन एकस्प्रेस की खबर के अनुसार, 40 साल के गणपत तडवी ने बताया कि उन्हें अपनी दुकान छोड़नी पड़ी. अब वह स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पार्किंग क्षेत्र के पास एक चाय की दुकान चलाते हैं, यहां उनकी पहले के मुकाबले कमाई आधी रह गई है. गणपत तडवी ने आगे बताया,  स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से बाहरी लोगों को फायदा हुआ है. इससे आदिवासी परिवारों को क्या मिला? हमारी जमीनों को ले लिया गया जबकि हमारे बच्चों को सरकार ने लौकरी देने का वादा किया था, हम आज भी औकरी का इंतजार कर रहे हैं. 


इसी तरह से यहां के पिपड़िया गांव, केवड़िया निवासी और अन्य गांवों के लोग बीजेपी से खासे नाराज हैं. नर्मदा जिले में एक और सीट पर बीजेपी की साख दांव पर लगी है. बीजेपी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के दम पर देदियापाड़ा सीट को जीनते का प्रयासों कर रही है. बता दें कि 2017 के चुनाव में कांग्रेस की सहयोगी भारतीय ट्राइबल पार्टी देदियापाड़ा सीट जीती थी.


यह भी पढ़ें: Gujarat Election 2022: गुजरात में पिछले पांच चुनावों में कितनी बढ़ी महिला विधायकों की संख्या? जानें- पुरुषों से कितना पीछे