(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' के आसपास हुआ विकास, गावों की स्थिति एकदम उलट
Gujarat Election: अदिवासियों का आरोप है कि सरकार ने केवल आश्वासन के अलावा कुछ नहीं दिया. इसलिए इस चुनाव में भी वे बीजेपी के अलावा कांग्रेस और केजरीवाल की तवज्जो देने की सोच रहे हैं.
Gujarat Election 2022: बीजेपी सरकार ने गुजरात के केवड़िया में करोड़ों रुपए खर्च करके 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' बनाकर इलाके का काया कल्प तो किया. लेकिन इसका फायदा बीजेपी को होता नहीं दिख रहा है. दक्षिण गुजरात के नर्मदा जिले की दोनों विधानसभा सीटों पर बीजेपी 2017 चुनाव में कमल नहीं खिला सकी थी. साथ ही इस बार के विधानसभा चुनाव में भी तस्वीर में कुछ खास बदलाव होगा ऐसा दिखाई नहीं दे रहा.
केवड़िया की स्थिति
दक्षिण गुजरात के केवड़िया को कुछ साल पहले तक कोई नहीं जनता था, लेकिन पीएम मोदी के विजन ने केवड़िया को नई पहचान दे दी. केवड़िया में सरदार पटेल की सबसे बड़ी मूर्ति स्थापित कर इलाके की सुरत बदल दी गई. आज लाखों की संख्या में सैलानी यहां घुमने के लिए आते हैं. इस इलाके की अच्छी सड़कें, बड़े होटेल और भव्य रेलवे स्टेशन बनाए गए हैं. यहा पिछले 5 सालों में सब कुछ बदल गया, लेकिन बाहर से जो बदलाव दिखाई देता है वो केवड़िया गांव में जाने के बाद तस्वीर बिल्कुल अलट है.
केवड़िया के गावों की स्थिति एकदम उलट
पिछले पांच सालों में यहा गांव की सड़कें आज भी पूरी तरह नहीं बन सकी हैं. गांव में ना कोई अच्छा स्कूल है और ना ही अच्छा हॉस्पिटल बना सका है. मोदी मॉडल को केवड़िया के लोग केवल झूठा विज्ञापन बता रहे हैं. नर्मदा जिले में विधानसभा की दो सीटें नागोद और डेडीयापाडा आती हैं. जिसमें से एक कांग्रेस के तो दूसरी BTP (भारत ट्राइबल पार्टी ) के पास है. दक्षिण गुजरात का नर्मदा जिला आदिवासी बहुल क्षेत्र है. यहां के मूल निवासी आदिवासी हैं. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाते वक्त गुजरात सरकार ने आदिवासीयों की जमीन ली, लेकिन बदले में उनको सरकार ने जो रोजगार और मुआवजा देने का वादा किया था वह अभी तक नहीं निभा सकी है.
आदिवासी बहुल सीटों कमजोर बीजेपी
स्थानिक अदिवासियों का आरोप है कि सरकार ने केवल आश्वासन के अलावा कुछ नहीं दिया. इसलिए इस चुनाव में भी वे बीजेपी के अलावा कांग्रेस और केजरीवाल की तवज्जो देने की सोच रहे हैं. यहां के एक आदिवासी शैलेंद्र भाई ने एबीपी न्यूज़ से कहा, इस बार गुजरात में बीजेपी नहीं आएगी, उन्होंने हमारे लिए कुछ नहीं किया. गांव में पानी का नल आया लेकिन पानी नहीं आया. कोई रोजगार नहीं मिला केवल बाहरी लोगों का विकास हुआ है. लेकिन इन सब के बीच बीजेपी को आदिवासी बहुल सीटों को जितने के लिए एडी चोटी का जोर लगाना पड़ सकता है.
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