गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में कहां है किसका असर?
गुजरात विधानसभा के दूसरे चरण के चुनाव में 93 सीटों पर जातिगत वोटरों के साथ ही शहरी और ग्रामीण वोटरों का गणित काफी अहम है.
नई दिल्ली: गुजरात विधानसभा के दूसरे चरण के चुनाव में 93 सीटों पर जातिगत वोटरों के साथ ही शहरी और ग्रामीण वोटरों का गणित काफी अहम है. 2012 में बीजेपी ने 52, कांग्रेस ने 39 और अन्य ने 2 सीटें जीती थी. इस हिसाब से दूसरे चरण में किस पार्टी को बढ़त मिल सकती है. इन सीटों पर पाटीदार, ओबीसी और आदिवासी समाज के मतदाताओं का सबसे ज्यादा प्रभाव है.
93 सीटों में से 30 सीटें पाटीदारों के प्रभाव वाली हैं. 2012 में 30 सीटों में से बीजेपी को 20, कांग्रेस को 9 और अन्य को 1 सीट मिली थी. यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस ने पाटीदारों को भारी संख्या में टिकट बांटे हैं. हालांकि हार्दिक पटेल के कांग्रेस के साथ जाने से उसकी स्थिति मजबूत हुई है.
दूसरे चरण में ओबीसी वोटरों की सबसे अहम भूमिका होगी. चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने ओबीसी वोटरों को अपने पाले में खींचने की पूरी कोशिश की है, क्योंकि पीएम मोदी खुद मोढ घांची यानी तेली बिरादरी से आते हैं. कांग्रेस ने भी अल्पेश ठाकोर को ओबीसी चेहरा बनाया. 93 सीटों में से उत्तरी गुजरात की 23 सीटों पर ओबीसी जातियों का प्रभाव है.
माना जाता है कि आदिवासियों ने हमेशा कांग्रेस पार्टी को वोट किया है. कांग्रेस ने आदिवासी नेता छोटू भाई वसावा की भारतीय ट्राइबल पार्टी से गठबंधन किया है. इससे आदिवासी सीटों पर कांग्रेस पार्टी का पहले से भी ज्यादा बढ़त मिल सकती है. दूसरे चरण में 13 सीटें आदिवासी वोटरों के प्रभाव वाली हैं. 2012 में कांग्रेस ने 10 और बीजेपी ने 3 सीटों पर कब्जा किया था.
दूसरे चरण के इस चुनाव में दलित वोटरों का भी अहम योगदान होगा. दलित नेता जिग्नेश मेवाणी कांग्रेस के साथ हैं, जिसका उसे फायदा हो सकता है. कांग्रेस ने उन्हें वडगाम से उम्मीदवार बनाया है.
दूसरे चरण में उत्तरी गुजरात और मध्य गुजरात में वोटिंग होनी है. माना जाता है कि ग्रामीण वोटरों का रुझान जहां कांग्रेस की तरफ रहता है वहीं शहरी वोटर बीजेपी पर भरोसा करते नजर आते हैं. दोनों क्षेत्रों में ग्रामीण इलाके की 45 सीटे हैं, जबकि शहरी इलाके की 48 सीटें हैं.
2012 में ग्रामीण इलाकों की 45 सीटों में से बीजेपी ने 17 और कांग्रेस ने 26 सीटें जीती थीं. शहरी इलाके की कुल 48 सीटों में से बीजेपी ने 35 और कांग्रेस ने 13 सीटें जीती थीं. बीजेपी और कांग्रेस ने वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है.