आसनसोल: सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने सोमवार को कहा कि गुजरात विधानसभा चुनावों में बीजेपी की सीटों की संख्या में आई कमी उसकी नीतियों के खिलाफ लोगों के ‘गुस्से और विरोध’ को दर्शाती है. हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि विपक्ष इस गुस्से और विरोध का पूरा फायदा नहीं उठा पाया.

येचुरी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘वे (बीजेपी) भले ही जीत गए हों, लेकिन 2014 (लोकसभा चुनावों) और 2012 (गुजरात विधानसभा चुनावों) की तुलना में उनकी सीटें और वोट प्रतिशत दोनों कम हुए हैं. वे 150 सीटों के अपने लक्ष्य तक भी नहीं पहुंच पाए हैं. चुनावी नतीजे बीजेपी की नीतियों के खिलाफ लोगों के गुस्से को दर्शाते हैं.’’

उन्होंने कहा कि गुजरात के लोगों ने ‘विकास के गुजरात मॉडल’ के लिए वोट नहीं किया था, बल्कि इसके खिलाफ किया था, क्योंकि जीएसटी और नोटबंदी के कारण उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था.

वामपंथी नेता ने कहा कि बीजेपी ने चुनाव प्रचार के दौरान ‘सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कार्ड’ खेला ताकि जीएसटी और नोटबंदी के खिलाफ लोगों के गुस्से को पार्टी के खिलाफ वोटों में तब्दील होने से रोका जा सके.

उन्होंने कहा, ‘‘बीजेपी ने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की गंदी राजनीति की. पूरा प्रचार ऐसे किया गया जैसे लड़ाई हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो. सिर्फ चुनावी फायदे के लिए ऐसा किया गया.’’ येचुरी ने कहा कि चुनावी नतीजों से कई ऐसे सबक मिले हैं जिनसे विपक्ष को सीखने की जरूरत है.