गुजरात चुनाव: शिवसेना का पीएम मोदी पर हमला, कहा- भाषणों से गायब है विकास का एजेंडा
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा, "मोदी ने खुद को छोटा बना लिया है. हम मोदी को देश और हिंदुओं का अभिमान समझते हैं लेकिन अब वह गुजरात की अस्मिता की बेड़ियों में बंध गए हैं."
मुंबई: शिवसेना ने यह कहते हुए अपनी सहयोगी बीजेपी पर गुजरात चुनाव में 'निचले स्तर तक उतर आने' का आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी भाषणों से विकास का एजेंडा गायब है. पार्टी ने कहा कि मोदी ने यह दावा कर अपने को 'छोटा बना' लिया है कि निलंबित कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के उनके विरुद्ध बयान से गुजरात की अस्मिता अपमानित हुई है.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा, "मोदी ने खुद को छोटा बना लिया है. हम मोदी को देश और हिंदुओं का अभिमान समझते हैं लेकिन अब वह गुजरात की अस्मिता की बेड़ियों में बंध गए हैं." इसमें कहा गया, "गुजरात चुनाव में मोदी राष्ट्रीय नेता कम, क्षेत्रीय नेता ज्यादा बन गए हैं." बीजेपी प्रायोजित चुनाव आयोग में ईवीएम घोटाले की शिकायत करना व्यर्थ है.
गौरतलब है कि शनिवार को गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण में विपक्षी दलों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में छेड़छाड़ का आरोप लगाया था लेकिन आयोग ने इसे सिरे से खारिज कर दिया था.
शिवसेना ने कहा कि गुजरात चुनाव का प्रचार अभियान बहुत चर्चित विकास एजेंडे पर केंद्रित होना चाहिए था लेकिन, "गुजरात में प्रधानमंत्री के भाषणों से यह बिंदु गायब है." पार्टी ने कहा कि अपने गृह राज्य में प्रधानमंत्री अपने चुनाव भाषणों में कभी भावुक तो कभी आक्रामक नजर आते हैं.
उसने कहा, "यह वही राज्य है जिसने हमें यह प्रधानमंत्री दिया और जहां बीजेपी ने 22 साल शासन किया. बीजेपी चुनाव प्रचार अभियान में निचले स्तर तक क्यों चली गयी." शिवसेना ने कहा, "जब महाराष्ट्र चुनाव में हमने अफजल खान का उल्लेख किया था तब बीजेपी ने एतराज किया था और कहा था कि हम चुनाव प्रचार में नीचे के स्तर तक चले गए. लेकिन पीएम मोदी ने खुद ही गुजरात चुनाव प्रचार अभियान में मुगल शासन का जिक्र किया." वर्ष 2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने नेताओं को 'अफजल खान की औलाद' कहने पर शिवसेना से माफी मांगने की मांग की थी.
शिवसेना ने यह भी कहा कि जब ऐसा विश्वास हो चला है कि राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी का प्रमुख बनाए जाने के बाद बीजेपी के लिए चुनाव में जीत आसान हो गया है. फिर बीजेपी के शीर्ष नेता उनके खिलाफ गुजरात में चुनाव प्रचार क्यों कर रहे हैं?