Bilkis Bano Case: गुजरात सरकार ने रेमिशन पैनल की फाइल नोटिंग साझा करने से किया इनकार, आरटीआई से मांगा था जवाब
Bilkis Bano Gang Rape Case: साल 2002 के बिलकिस बानो गैंगरेप मामले को लेकर एक आरटीआई डाली गई थी जिसमें दोषियों की रिहाई को लेकर कुछ सवाल पूछे गए थे. इसको लेकर गुजरात सरकार ने जवाब दिया.
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Gujarat: साल 2002 में हुए गुजरात के बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में एक एक्टिविस्ट ने आरटीआई डालकर कुछ सवाल के जवाब मांगे थे, जिसका जवाब देने से गुजरात सरकार ने इनकार कर दिया है. इस आरटीआई के तहत गुजरात सरकार से बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई के लिए छूट समिति की सिफारिशों की फाइल नोटिंग मांगी गई थी. गुजरात सरकार ने आरटीआई जवाब में इसका हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, अहमदाबाद की आरटीआई कार्यकर्ता पंक्ति जोंग ने गुजरात सरकार से साल 2002 के मामले के दोषियों की 4 मामलों में रिहाई से संबंधित विवरण मांगा था. इनमें खासकर पिछले 5 सालों में छूट समितियों के लिए संदर्भ की शर्तें, इन समितियों की बैठकों के कार्यवृत्त, रिहाई के लिए अनुशंसित किए गए कैदियों के नाम समेत विवरण और आजादी के 75 साल होने पर जेल बंदियों की रिहाई के लिए छूट समिति के सदस्यों के चयन से जुड़ी फाइल का विवरण आदि मांगा गया. स्वतंत्रता दिवस पर दोषियों की रिहाई करने के लिए 5 दिनों बाद यानि 20 अगस्त को ये पूरी डिटेल मांगी गई थी.
आरटीआई कार्यकर्ता पंक्ति जोंग ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान सरकार ने अगस्त 2022, जनवरी 2023 और अगस्त 2023 में तीन चरणों में कुछ कैदियों को रिहा करने का फैसला किया.
आरटीआई पर गुजरात सरकार ने क्या किया?
इस आरटीआई के जवाब में राज्य के गृह विभाग ने एक्टिविस्ट को छूट समितियों के गठन आदि से संबंधित प्रस्तावों और दस्तावेजों को उपलब्ध करवाया है. अपने जवाब में, राज्य ने कहा कि निर्णय 13 मई, 2022 के सरकारी संकल्प के अनुसार लिया गया था. राज्य के गृह विभाग ने कहा कि छूट पैनल का गठन और छूट की प्रक्रिया आजादी का अमृत महोत्सव योजना के तहत केंद्र के जारी दिशा-निर्देशों पर की गई थी.
15 अगस्त 2022 को रिहा किए गए कैदियों पर विवाद पैदा हो गया क्योंकि वे 2002 में गोधरा सांप्रदायिक दंगों के बाद बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा का सामना कर रहे थे. अप्रैल 2022 में उनमें से एक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इसके बाद 11 लोगों को ये कहते हुए रिहा कर दिया गया था कि उन्होंने इस मामले में 14 साल जेल में बिताए हैं. जोग ने कहा कि विभाग ने फाइल नोटिंग देने से इनकार कर दिया जिससे नामों के चयन की प्रक्रिया और कसौटी के साथ क्रास चेकिंग का पता चल जाता.
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