Gujarat High Court: गुजरात हाईकोर्ट ने अवमानना के एक मामले में बिना शर्त माफी मांगने पर 9 जजों को राहत दे दी है. 40 साल पुराने एक मामले में हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद 2005 तक ये जज मामले का निपटारा करने में विफल रहे थे. मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष जे शास्त्री की खंडपीठ ने जजों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही बंद करते हुए उन्हें दीवानी मामलों में भी हाईकोर्ट और उच्च अदालत के आदेशों का ठीक से पालन करने की चेतावनी दी.


हाईकोर्ट ने अपने आदेश में लिखा, "उन्होंने पश्चाताप व्यक्त किया है और बिना शर्त माफी मांगी है. उन्होंने इस न्यायालय को आश्वासन दिया है कि भविष्य में ऐसी घटना नहीं होगी. हमने हमेशा कहा है कि पछतावा दिल से होना चाहिए न कि कलम से. इस तात्कालिक मामले में, हम मानते हैं, पश्चाताप दिल से किया गया है. इसलिए, हम माफी स्वीकार करते हैं." 


सर्विस बुक में होगा दर्ज
हालांकि, बेंच ने रजिस्ट्रार जनरल से कार्यवाही का रिकॉर्ड उन सभी के सर्विस रिकॉर्ड में रखे जाने को कहा है. सर्विस बुक में दर्ज होने के बाद इन जजों के प्रमोशन और अन्य मामलों पर असर पड़ेगा. 


पीठ ने इस बात पर हैरानी जताई थी कि दिसंबर 2004 से अभी तक 16 जज आणंद कोर्ट में समय-समय पर रहे, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद मामले का निपटारा नहीं किया गया. मामले में 88 वर्षीय याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इसमें 10 जजों को पार्टी बनाया गया था.


2004 में हाईकोर्ट ने दिया था आदेश
मामला 1977 के एक जमीन विवाद से जुड़ा है. इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने 2004 में आणंद जिला न्यायालय के लिए निर्देश जारी किया था. हाईकोर्ट ने 2005 तक मामले का निपटारा करने का निर्देश दिया था. समय बीत जाने के बाद भी सुनवाई नहीं की गई. इस दौरान 16 जज कोर्ट से चले गए, लेकिन मामला लटका रहा. इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का रुख किया.


अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान इसे हाईकोर्ट के आदेश का घोर उल्लंघन पाया. अदालत ने कहा कि 31 दिसंबर, 2005 तक मुकदमे का निपटारा करने के उच्च न्यायालय के आदेश का घोर उल्लंघन किया गया. उसकी अनदेखी की गई और उसे लागू नहीं किया गया.


जजों ने दिया माफीनामा
पीठ ने 16 दिसंबर को उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को उन सभी जजों से स्पष्टीकरण मांगने का आदेश दिया, जो उस कोर्ट में तैनात रहे जिसमें दिसंबर 2004 से मुकदमा लंबित है. इसके बाद 10 जजों ने अपना बिना शर्त माफीनामा दाखिल किया. 


कोर्ट ने कहा कि दिसंबर 2004 से अब तक, कुल 16 जजों ने संबंधित अदालत की अध्यक्षता की, जिनमें से 10 न्यायपालिका में विभिन्न पदों पर सेवा दे रहे हैं. वहीं, 6 जज रिटायर हो चुके हैं. इस दौरान दो जजों की मौत हो चुकी है.


यह भी पढ़ें


कर्नाटक में चलेगा कांग्रेस का जादू! 2024 में 60 फीसदी सीटों पर UPA करेगी फतेह, सर्वे में खुलासा