Gujarat High Court: 'पहले 14-15 साल की उम्र में शादी और 17 साल की उम्र में मां बनना सामान्य था.' ये टिप्पणी गुजरात हाईकोर्ट ने 17 साल की एक नाबालिग के सात महीने के भ्रूण को समाप्त करने की याचिका पर मौखिक रूप से की. गुजरात हाईकोर्ट ने मनुस्मृति का हवाला देते हुए ये टिप्पणी की. लाइव लॉ वेबसाइट के मुताबिक, गुजरात हाईकोर्ट एक नाबालिग रेप पीड़िता की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. 


इस दौरान गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस समीर जे दवे ने मौखिक तौर पर कहा, 'क्योंकि हम 21वीं सदी में जी रहे हैं, अपनी मां या परदादी से पूछिए, शादी करने के लिए 14-15 साल अधिकतम उम्र थी. बच्चा 17 साल की उम्र से पहले ही जन्म ले लेता था. लड़कियां लड़कों से पहले मैच्योर हो जाती हैं. आप इसे नहीं पढ़ेंगे, लेकिन इसके लिए एक बार मनुस्मृति पढ़ें.'


7 महीने से ज्यादा का है भ्रूण- हाईकोर्ट
रेप पीड़िता के पिता के वकील ने इस मामले में लड़की की कम उम्र को देखते हुए गर्भपात किए जाने की बात की थी. जिस पर गुजरात हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी की. हालांकि, हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि उन्होंने इस मामले में डॉक्टरों से भी सलाह ली थी कि क्या गर्भपात किया जा सकता है, क्योंकि भ्रूण 7 महीने से ज्यादा का है.


कोर्ट ने ये भी साफ किया कि वो गर्भपात की इजाजत नहीं दे सकता, अगर नाबालिग और भ्रूण दोनों की जान को खतरा हो. कोर्ट ने नाबालिग की मेडिकल जांच कराने के आदेश दिए हैं. गुजरात हाईकोर्ट इस मामले में डॉक्टरों की रिपोर्ट के बाद ही फैसला लेगा. मामले की अगली सुनवाई 15 जून को होगी.


क्या है मामला
पीड़िता के वकील की ओर से जवाब देते हुए कहा गया कि मुस्लिम कानून के तहत शादी की उम्र 13 साल है. नाबालिग रेप पीड़िता के पिता को उसके गर्भ के बारे 7 महीने बीतने के बाद पता चला था. इसके बाद उन्होंने गुजरात हाईकोर्ट में नाबालिग के गर्भपात की याचिका लगाई थी. 


भारत में पहले कुछ मामलों में 20 हफ्ते तक अबॉर्शन कराने की अनुमति थी, लेकिन 2021 में इस कानून में संशोधन के बाद ये समय सीमा बढ़ाकर 24 हफ्ते तक की गई. हालांकि, कुछ खास मामलों में 24 हफ्ते के बाद भी गर्भपात कराने की कोर्ट से अनुमति ली जा सकती है.


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