Manual Scavenging: हाथ से मैला ढोने की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से गुजरात हाई कोर्ट ने सख्ती का रुख अख्तियार किया है. कोर्ट ने हाल ही में कहा कि अगर अगर कोई व्यक्ति ऐसा करते हुआ पाया जाता है तो इसके लिए नगर पंचायत के प्रमुख और संबंधित नगर पालिका के आयुक्त को भी दंडित किया जाएगा.कार्यवाहक चीफ एजे देसाई और जस्टिस बीरेन वैष्णव की बेंच ने सोमवार (1 मई) को इसको लेकर आदेश पारित किया था.


पीठ ने साफ कहा, “हम ये साफ करते है कि सुनवाई की अगली तारीख तक यदि कोई कर्मचारी जिसकी सेवा संबंधित क्षेत्र में सीवरेज की सफाई के लिए किसी नगर निगम, किसी नगर पालिका या किसी ग्राम पंचायत द्वारा ली गई है तो संबंधित निगम के नगर आयुक्त कार्रवाई के लिए संबंधित नगर पालिका के मुख्य अधिकारी और संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच जिम्मेदार होंगे, क्योंकि 21 जून, 2014 के सरकारी प्रस्ताव के जरिए ऐसी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है .”


क्या है मामला ?


कार्यवाहक चीफ एजे देसाई और जस्टिस बीरेन वैष्णव की बेंच राज्य में मैला ढोने के मुद्दे को उजागर करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी. इसमें मैला ढोने वाले रोजगार पर रोक और इन लोगों के पुनर्वास अधिनियम को सही तरीके से लागू करने की मांग की गई है.


पहले आदेश के मुताबिक, बेंच को सूचित किया गया था कि कुल 152 लोगों की जान मैला ढोने के दौरान चली गई. जिसमें से 137 लोगों के कानूनी उत्तराधिकारियों को राज्य के अधिकारियों ने मुआवजा दिया है. फिलहाल राज्य में ऐसे अन्य व्यक्तियों के बारे में जानकारी इकट्ठी की जा रही है.


इसको लेकर कोर्ट ने राज्य को निर्देश भी जारी किया है. इसके साथ ही कहा है कि अगली सुनवाई की तारीख से पहले मृत कर्मियों के कानूनी उत्तराधिकारियों को सरकारी संकल्प की योजना के मुताबिक मुआवजे की धनराशि बांटी जाए. कोर्ट ने मामले को सुनवाई के लिए 19 जून को सूचीबद्ध किया है.


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