अहमदाबाद: गुजरात हाई कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार से एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने यह नोटिस राज्य सरकार को मुस्लिम उम्मीदवारों को ‘धर्म के आधार पर प्रोफाइलिंग करने’ के कारण जारी किया हैं. याचिकाकर्ता के. आर. कोश्ती ने दावा किया कि 10वीं और 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों द्वारा 2019 बोर्ड परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन में हर उम्मीदवार से पूछा जा रहा है कि वह क्या मुसलमान हैं?


जनहित याचिका में ऑनलाइन फॉर्म स्वीकार करने के सरकार के निर्णय को भी चुनौती दी गई है और कहा गया है कि राज्य के कई हिस्सों में इंटरनेट सम्पर्क ठीक नहीं हैं. कार्यवाहक चीफ जस्टिस अनंत दवे और जस्टिस वीरेन वैष्णव की खंडपीठ ने राज्य सरकार, गुजरात माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) से इस विषय पर छह दिसम्बर तक जवाब मांगा है.


याचिकाकर्ता कोश्ती ने कोर्ट में कहा कि राज्य सरकार सभी 10वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स से आधार नंबर मांग रही है. उन्होंने कहा कि ऐसा करना सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार आधार कार्ड की जानकारी सिर्फ पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम, एलपीजी सिलेंडर और इनकम टैक्स रिटर्न में ही इस्तेमाल किया जा सकता है. याचिकाकर्ता ने कहा कि राज्य सरकार का यह कदम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है.


कोश्ती ने यह भी कहा कि छात्रों के लिए फॉर्म ऑनलाइन कर दिया गया है. इससे पिछड़े इलाके के लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि कच्छ क्षेत्र में इंटरनेट की स्थिति काफी खराब है.


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