Court News: 'करता हूं कैश का काम, चाहिए बंदूक', कोर्ट ने भी डिजिटल पेमेंट करने की कही थी बात, अब गुजरात हाईकोर्ट ने पलटा फैसला
Gujrat High Court: इस बिजनेसमैन ने साल 2016 में आर्म्स लाइसेंस के लिए आवेदन किया था. इसे कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया था.
Gujrat High Court: गुजरात हाई कोर्ट (Gujrat High Court) ने सिंगल बेंच (Single Judge Bench) के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें बिजनेसमैन को आर्म्स लाइसेंस (Arms License) देने से इनकार किया गया था. दरअसल, बिजनेसमैन ने इस आधार पर आर्म्स लाइसेंस के लिए अनुरोध किया था कि उसे नकद लेनदेन करना होता है. इसपर सिंगल जज की बैंच ने कहा था कि नकद लेनदेन में खतरों से बचने के लिए वह डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) का इस्तेमाल कर सकता है.
बिजनेसमैन ने कलेक्टर के आदेश को चुनौती देते हुए अपीलकर्ता प्राधिकारी के सामने अपील दायर की थी, जिसे 25 जून 2019 को खारिज कर दिया गया था. इसके बाद अपीलकर्ता (बिजनेसमैन) ने विवादित आदेशों को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट (High Court) का दरवाजा खटखटाया था. सहायक सरकारी वकील साहिल त्रिवेदी ने कहा कि यह आर्म्स एक्ट, 1959 के प्रावधानों के तहत लाइसेंसिंग अथॉरिटी की व्यक्तिपरक संतुष्टि है. वह खुद इस बात का आकलन कर सकता है.
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने कहा कि सिंगल जज के दिए गए विवादित आदेशों से संकेत मिलता है कि आर्म्स लाइसेंस को उन्होंने खतरा माना है, जबकि यह कोई खतरे की धारणा नहीं है. आर्म्स एक्ट के प्रावधानों को पढ़ना बेहद जरूरी है. अपीलकर्ता परिवहन और निर्माण के बिजनेस में लगा हुआ है और नकद लेनदेन करता है, इसलिए उसे इसकी जरूरत पड़ सकती है.
'कोर्ट नहीं कर सकता फैसला'
उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के मूल्यांकन को कोर्ट की तरफ से प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है और कोर्ट ऐसी व्यक्तिपरक संतुष्टि के लिए तथ्यों को निर्धारित करने के लिए कोई अभ्यास नहीं कर सकता है. इसके बाद कोर्ट ने सिंगल जज की तरफ से पारित आक्षेपित आदेश रद्द कर दिया.
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