जामनगर: गुजरात के पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट को 22 साल पुराने मामले में उम्रकैद की सजा मिली है. संजीव को जामनगर सेशन कोर्ट ने ये सजा सुनाई है. संजीव को ये सजा जामनगर के जाम जोधपुर में 29 साल पहले भारत बंद के दौरान थाने में एक व्यक्ति की पिटाई और बाद में कस्टडी में उसकी मौत के मामले में हुई है. कोर्ट ने संजीव भट्ट के अलावा एक और को उम्रकैद की सजा हुई है.
जामनगर स्थित सत्र अदालत के न्यायाधीश डी एन व्यास ने भट्ट को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई लेकिन मामले में दोषी ठहराए गए छह अन्य पुलिसकर्मियों की सजा का ऐलान अभी नहीं हुआ है.
यह मामला 1990 का है जब भट्ट गुजरात के जामनगर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात थे. उन्होंने जाम जोधपुर कस्बे में सांप्रदायिक दंगों के दौरान करीब 150 लोगों को हिरासत में लिया था.
इनमें से प्रभुदास वैशनानी नाम के एक शख्स की हिरासत से रिहा किए जाने के बाद अस्पताल में मौत हो गई थी.
वैशनानी के भाई ने बाद में भट्ट और छह अन्य पुलिसवालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराकर आरोप लगाया था कि उन्होंने हिरासत के दौरान उसके भाई को प्रताड़ित किया जिसकी वजह से उसकी जान गई.
2002 में गोधरा दंगे के बाद बीजेपी के साथ भट्ट का कई मुद्दों पर टकराव हुआ था. संजीव भट्ट को 2015 में पद से बर्खास्त कर दिया गिया था.
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