Shaurya Chakra Award: सेना ने डाक से भेजा शहीद सैनिक के घर 'शौर्य चक्र', परिवार ने मेडल लेने से किया इनकार
Gujarat News: शहीद जवान के परिवार के लोगों का कहना है कि सेना ने उनके बेटे के शहादत का सम्मान नहीं किया है. उनका कहना है कि यह अवार्ड सम्मान के साथ उनके परिवार को राष्ट्रपति भवन में मिलना चाहिए.
Shaurya Chakra Award Return: साल 2017 में कश्मीर (Kashmir) में आतंकवादियों से मुठभेड़ (Terrorist Encounter) के दौरान शहीद हुए लांस नायक गोपाल सिंह के घर पर सेना (Army) ने जब शौर्य चक्र सम्मान अवार्ड (Shaurya Chakra Award) भेजा तो नाराज परिवार ने उसे वापस कर दिया. दरअसल, सेना ने यह सम्मान डाक के जरिए गोपाल सिंह के घर भेजा था. जिससे उनका परिवार काफी नाराज था.
शहीद जवान के परिवार के लोगों का कहना है कि सेना ने उनके बेटे के शहादत का सम्मान नहीं किया है. अहमदाबाद के रहने वाले शहीद के पिता मुकिम सिंह ने 5 सितंबर को ही यह अवार्ड सेना को वापस कर दिया था. उनका कहना है कि यह अवार्ड सम्मान के साथ उनके परिवार को राष्ट्रपति भवन में मिलना चाहिए. इसके लिए अगर कुछ समय भी लगता है तो वह इंतजार करने के लिए तैयार है.
आर्मी ने तोड़ा प्रोटोकॉल
मीडिया से बात करते हुए मुकिम सिंह ने कहा कि सेना ने मेडल को पोस्ट से भेजकर प्रोटोकॉल तोड़ा है. ऐसा करके आर्मी ने शहीद और उसके परिवार का अनादर किया है. इसलिए उन्होंने इस मेडल को वापस कर गिया है. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे मेडल राष्ट्रपति भवन में दिये जाते हैं. इस सम्मान को किसी आर्मी के वरिष्ठ अधिकारी के हाथों से परिवार को मिलना चाहिए. ऐसे सम्मान को 26 जनवरी या फिर 15 अगस्त को देना चाहिए. जिससे पूरा देश शहीद की शौर्य गाथा को जान पाए.
पहले भी मिल चुके है सम्मान
आपको बता दें कि लांस नायक गोपाल सिंह को पहले भी कई अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. इससे पहले गोपाल सिंह को मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले में उनकी बहादुरी के लिए विशिष्ट सेवा पदक से भी सम्मानित किया गया था.
तलाक के चलते रुका था मामला
उनके पिता का कहना है कि यह अवार्ड उन्हें बहुत पहले ही मिल जाता लेकिन पत्नी से चल रहे तलाक के चलते सेना ने इसे होल्ड पर डाल दिया था. 2021 में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया सुनाया था, जिसमें इस सम्मान को परिवार वालों को देने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि उनके बेटे को पूरे सम्मान के साथ यह पुरस्कार मिलना चाहिए.
इसे भी पढ़ेंः-
बाबर से लेकर ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ-II तक, कहानी उस कोहिनूर हीरे की जो भारत का है