मोरबी पुल हादसा: 134 की मौत और 9 गिरफ्तार...जानिए किन धाराओं में हुआ केस और क्या हो सकती है अधिकतम सजा
मोरबी पुल हादसे में अब तक 134 लोग जान गंवा चुके हैं. पुलिस ने 9 लोगों को गिरफ्तार भी किया है. यहां जानिए पुलिस ने किन धाराओं में केस दर्ज किया है और दोषियों को क्या सजा हो सकती है.
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Morbi Bridge Collapsed: गुजरात के मोरबी में एक केबल सस्पेंशन पुल रविवार (30 अक्टूबर) को ढह गया. पुल के गिरने से 134 लोगों की मौत हो गई. 100 से अधिक लोग इस हादसे में घायल हुए हैं. इस पूरे मामले में पुलिस ने गंभीरता से कार्रवाई की और अभी तक 9 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिसमें पुल का प्रबंधन करने वाले ओरेवा समूह के चार कर्मचारी भी शामिल हैं.
पुलिस ने इस मामले में कंपनी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या (धारा 308), गैर इरादतन हत्या की सजा (धारा 304) और अपराध किए जाते समय दुष्प्रेरक की उपस्थिति (धारा 114) के के आरोपों के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की है.
किन 9 लोगों को किया गया गिरफ्तार?
पुलिस ने जिन 9 लोगों को गिरफ्तार किया है उनके नाम हैं- दीपक पारेख (44), दिनेश दवे (41), मनसुख टोपीया (59), मादेव सोलंकी (36), प्रकाश परमार (63), देवांग परमार (31), अल्पेश गोहिल (25), दिलीप गोहिल (33) और मुकेश चौहान (26).
FIR में क्या कहा गया है?
मोरबी 'बी' डिवीजन पुलिस थाने में रविवार रात दर्ज की गई प्राथमिकी में पुलिस ने केबल पुल के रखरखाव और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार एजेंसियों को मुख्य आरोपी बनाया है, जिनके नाम जांच के दौरान सामने आए थे. प्राथमिकी के अनुसार, एजेंसी के लोगों के "लचर रवैये" के चलते यह घटना हुई. इसमें कहा गया है कि संबंधित व्यक्तियों या एजेंसियों ने रखरखाव एवं मरम्मत कार्य की गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा. प्राथमिकी में कहा गया है कि एजेंसी ने पुल के रखरखाव और प्रबंधन में लचर रवैया अपनाया और इस बात को जानते हुए भी कि इससे लोगों की मौत हो सकती है, उसे (पुल) लोगों के लिए खोल दिया.
क्या कहती है धारा 308?
मोरबी पुल हादसे में पुलिस ने आईपीसी की धारा 308 के तहत केस दर्ज किया है. भारतीय दंड संहिता की धारा 308 के अनुसार, जो भी कोई इस तरह के इरादे या बोध के साथ ऐसी परिस्थितियों में कोई कार्य करता है, जिससे वह किसी की मृत्यु का कारण बन जाए, तो वह गैर इरादतन हत्या (जो हत्या की श्रेणी में नहीं आता) का दोषी होगा, और उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या दोनों से, दण्डित किया जा सकता है. इसके अलावा, अगर इस तरह के कृत्य से किसी व्यक्ति को चोट पहुंचती है, तो अपराधी को किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड, या दोनों से, दण्डित किया जा सकता है.
SIT का गठन
मोरबी सस्पेंशन ब्रिज के ढहने के मामले में गुजरात सरकार ने पांच सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है. वहीं एफएसएल की टीमों ने पुल और उस इलाके का भी निरीक्षण किया है, जहां रविवार शाम को हादसा हुआ. इसी के साथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री और शीर्ष अधिकारियों के साथ हाई लेवल मीटिंग भी की.
मरने वालों की संख्या - 134
राजकोट रेंज के पुलिस महानिरीक्षक अशोक यादव ने कहा कि हादसे में मरने वाले लोगों की कुल संख्या बढ़ कर 134 हो गई है. राज्य सूचना विभाग ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के पांच दल, राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की छह पलटन, वायुसेना का एक दल, थलसेना की एक दो टुकड़ियां और नौसेना के दो दलों के अलावा स्थानीय बचाव दल भी (बचाव) अभियान में जुटे हुए हैं.
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
मोरबी पुल हादसे का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. हादसे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है. याचिका में घटना की जांच के लिए राज्य सरकार को न्यायिक आयोग बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया है और 14 नवंबर को सुनवाई करने के लिए कहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्या कहा?
चुनावी राज्य गुजरात के दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे में जान गंवाने वाले लोगों को याद किया. प्रधानमंत्री ने भावुक होते हुए कहा, "मैं केवडिया में हूं पर मेरा मन मोरबी के पीड़ितों से जुड़ा हुआ है." उन्होंने कहा कि पारंपरिक नृत्य कार्यक्रम के लिए देशभर से मंडलियां केवडिया आई थीं, लेकिन मौजूदा परिस्थितयों को लेकर कार्यक्रम रद्द कर दिए गए.
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