नई दिल्ली: गुजरात चुनाव से पहले पाटीदारों का समर्थन हासिल करने के लिए कांग्रेस ने आरक्षण का जो दांव चला है उससे एक नया विवाद खड़ा हो गया है. एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले को नया रंग देते हुए कहा है कि जब कांग्रेस पाटीदारों को आरक्षण दे सकती है तो मुसलमानों को क्यों नहीं? उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने कहा है कि वह पटेलों को रिजर्वेशन देगी...बीजेपी ने कहा है कि वो पटेलों को ईबीसी में 10 परसेंट रिजर्वेशन देगी...मैं कांग्रेस और बीजेपी दोनों से पूछना चाहता हूं कि क्या गुजरात के मुसलमान की हालत पटेलों से अच्छी है.’’


ओवैसी के इस बयान पर कांग्रेस ने कहा है कि चुनाव से पहले इस तरह के बयान बीजेपी को मदद करने के लिए दिए जाते हैं. गुजरात कांग्रेस के प्रभारी अशोक गहलोत ने कहा, ''चुनाव के वक्त में ऐसे कई नेता हैं जो बीजेपी को मदद करने के लिए ऐसी टिप्पणियां करते हैं. जिससे लोग समझे कि वह बीजेपी के खिलाफ हैं...लेकिन उनकी मिलीभगत होती है बीजेपी से...उसी रूप में कई नेता टिप्पणी करते हैं... मैं किसी व्यक्ति विशेष पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता.''


दरअसल कांग्रेस की इस सफाई के पीछे वह चुनावी हकीकत छिपी है जो वोटों के गणित को तय करती है. गुजरात में मुसलमान करीब 10 फीसदी हैं और कांग्रेस ये मानकर चलती है कि मुसलमान उसके साथ हैं. जबकि 15 फीसदी पाटीदार पिछले 22 सालों से बीजेपी के वोटर माने जाते रहे हैं.


यही वजह है कि कांग्रेस का सारा ध्यान अभी पटेलों पर है. हालांकि ये सभी को पता है कि पटेलों को आरक्षण के नाम पर कांग्रेस ने सिर्फ चुनावी चाल चली है. क्योंकि कांग्रेस अभी कोई भी वादा कर ले लेकिन जब तक केंद्र में उसकी सरकार नहीं होगी तब तक वो किसी भी हाल में पटेलों को आरक्षण की तय सीमा 50 फीसदी से अलग आरक्षण नहीं दे सकती.


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