(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
बीजेपी ने कहा- शंकर सिंह वाघेला की गैरमौजूदगी से मध्य गुजरात में पार्टी को होगा फायदा
बीजेपी नेताओं ने कहा कि वे उन उम्मीदवारों पर भी भरोसा कर रहे हैं जिन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा है. क्षेत्र में पाटीदारों के खिलाफ गोलबंदी में अहम हैं, जिसे अक्सर इस क्षेत्र में ‘केएचएएम (क्षत्रिय-हरिजन-आदिवासी-मुस्लिम) कहा जाता है.
पंचमहल/खेड़ा/छोटा उदयपुर: बीजेपी को गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान मध्य गुजरात में अपनी स्थिति सुधरने की उम्मीद है. पार्टी को लगता है कि पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला का कांग्रेस छोड़ने का फैसला उसके पक्ष में काम करेगा.
बीजेपी नेताओं ने कहा कि वे उन उम्मीदवारों पर भी भरोसा कर रहे हैं जिन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा है. क्षेत्र में पाटीदारों के खिलाफ गोलबंदी में अहम हैं, जिसे अक्सर इस क्षेत्र में ‘केएचएएम (क्षत्रिय-हरिजन-आदिवासी-मुस्लिम) कहा जाता है. अहमदाबाद, वडोदरा, आनंद, खेड़ा, पंचमहल, दाहोद और छोटा उदयपुर जिलों से मिलकर बने इस क्षेत्र में पिछले चुनावों में बीजेपी ने 61 में से 35 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार बीजेपी यहां अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने के लिये अतिरिक्त प्रयास कर रही है. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इलाके में 90 दिनों से डेरा डाले हुये हैं. उन्हें भरोसा है कि उनकी पार्टी कम से कम 40 सीटें जीतेगी.
तोमर ने बताया, ‘‘मैंने समूचे इलाके में यात्रा की है और हमारे समर्थक एकजुट हैं. कांग्रेस के अपने कार्यकर्ता ही नहीं है.’’ तोमर ने माना कि वाघेला एक सम्मानित शख्सियत हैं लेकिन उनका जन विकल्प मोर्चा इस बार चुनाव मैदान में नहीं है और उनकी गैरमौजूदगी से बीजेपी को फायदा होगा.
संघ के प्रभारी संगठन सचिव धामेश मेहता हालांकि मानते हैं कि इस बार मुकाबला पिछले चुनाव से ज्यादा कड़ा है. वाघेला फैक्टर को लेकर वह तोमर से सहमत हैं.
मेहता ने कहा, ‘‘वाघेलाजी की गैरमौजूदगी से बीजेपी को मदद मिलेगी. यह अन्यथा मुश्किल होता क्योंकि वह सभी क्षत्रिय जातियों में प्रभावी शख्सियत हैं. उनकी करीब आठ फीसद वोट बैंक पर पकड़ है.’’ उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय समुदाय का एक वर्ग कांग्रेस के हार्दिक से हाथ मिलाने को लेकर नाराज है. कुछ कांग्रेसी नेता भी मानते हैं कि नेताओं की कमी का पार्टी के चुनावी परिदृश्य पर असर पड़ेगा.