नई दिल्ली: अब आपको राज्यसभा चुनाव के आंकड़ों का वो गणित बताते हैं जिसके डर से कांग्रेस ने अपने विधायकों को गुजरात से कर्नाटक के बैंगलोर भेजा है. गुजरात कांग्रेस और बीजेपी (भारतयी जनता पार्टी) की जो लड़ाई राज्य से निकलकर बेंगलूरु पहुंची है, उसकी जड़ में हैं अहमद पटेल. अहमद पटेल गुजरात से राज्यसभा का नामांकन दाखिल कर चुके हैं लेकिन जिस तरह से गुजरात कांग्रेस में भगदड़ मची है, उससे उनका राज्यसभा का टिकट फंसता हुआ नजर आ रहा है.
दरअसल गुजरात में कांग्रेस के कुल 57 विधायक थे, लेकिन अब 6 विधायकों के पाले बदलने की वजह से संख्या घटकर 51 रह गई है. दूसरी तरफ अहमद पटेल को राज्यसभा में जीत के लिए 47 विधायकों का वोट चाहिए. इस आंकड़े के हिसाब से अभी अहमद पटेल की जीत में दिक्कत नहीं दिख रही है. कांग्रेस का दावा अपनी जगह लेकिन हकीकत यही है कि शंकर सिंह वाघेला के कांग्रेस छोड़ने के बाद पार्टी की हालत पतली है. उसके 6 विधायक कांग्रेस छोड़ चुके हैं और खबर मिल रही थी कि कुछ और विधायक अपना इस्तीफा जेब में रखकर घूम रहे थे.
कांग्रेस की मानें तो इस पूरे खेल के पीछे बीजेपी के चाणक्य अमित शाह हैं जो इस कोशिश में जुटे हैं कि गुजरात कांग्रेस के कम से कम 22 विधायक उसका साथ छोड़ दें. ऐसा करने से गुजरात विधानसभा में कांग्रेस की सदस्य संख्या 57 से घटकर 35 हो जाएगी. साथ ही कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे से विधानसभा की सदस्य संख्या 182 से घटकर 160 हो जाएगी. इस नये समीकरण का राज्यसभा चुनाव पर असर ये होगा कि राज्यसभा में एक सीट की जीत के लिए 40 विधायकों के वोट की जरूरत पड़ेगी.
अगर वाकई ऐसा हो गया तो बीजेपी के तीनों राज्यसभा उम्मीदवार- अमित शाह, स्मृति ईरानी और कांग्रेस से बीजेपी में आये बलवंत सिंह राजपूत की जीत निश्चित हो जाएगी क्योंकि वहां पर बीजेपी के कुल 121 विधायक हैं, मतलब उसके तीनों उम्मीदवारों के लिए जरूरी 120 वोट आराम से मिल जाएंगे. वहीं 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के पास केवल 35 विधायक रह जाएंगे . मतलब अहमद पटेल का पत्ता कट सकता है क्योंकि नये समीकरण में राज्यसभा में जीत के लिए कम से कम 40 वोट चाहिए होगा.
कांग्रेस के मुताबिक वो बीजेपी की इसी चाल को रोकने के लिए पार्टी अपने विधायकों को लेकर बेंगलूरु गई है. दूसरी तरफ सूत्रों से जो खबर मिल रही है, उसके मुताबिक वाघेला समर्थक कांग्रेस के कुछ और विधायक रिसॉर्ट में कांग्रेस का नमक खाने के बावजूद ऐन वक्त पर पाला बदलकर बीजेपी के खेमे में आ सकते हैं. आपको बता दें कि कांग्रेस के 7 विधायक ऐसे भी हैं जिन्होंने न तो इस्तीफा दिया है और नही बेंगलूरु गए हैं.
इसका मतलब ये है कि मौजूदा हालत में अहमद पटेल का राज्यसभा टिकट तय नहीं माना जा सकता और अगर वे हार जाते हैं तो ये अहमद पटेल की हार से ज्यादा सोनिया गांधी की हार मानी जायेगी क्योंकि अहमद पटेल साल 2001 से उनके राजनीतिक सचिव हैं और माना जाता है कि सोनिया गांधी के हर राजनीतिक फैसले के पीछे अहमद पटेल का ही हाथ होता है.