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सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई कांग्रेस की मांग, राज्यसभा चुनाव में होगा ‘NOTA’ का इस्तेमाल
चुनाव आयोग ने गुजरात राज्यसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल करने का आदेश दिया है. नोटा का मतलब होता है नन ऑफ द एबव यानी विधायको को इनमें से कोई नहीं चुनने का विकल्प होगा.
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नई दिल्ली: गुजरात में राज्यसभा चुनाव में नोटा (नन ऑफ द अवव) का इस्तेमाल किया जाएगा. नोटा पर अंतरिम रोक की कांग्रेस की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 13 सितंबर को होगी.
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम पूरे मामले की संवैधानिकता परखेंगे. इसलिए अभी कोई अंतरिम आदेश नहीं दे सकते. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग ने जनवरी 2014 में पहली बार सर्क्युलर जारी किया था. इसे आज तक किसी ने चुनौती नहीं दी. पुरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई अब 13 सितंबर को होगी.
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानिवलकर की पीठ हालांकि इस चुनाव में नोटा का विकल्प प्रदान करने की निर्वाचन आयोग की एक अगस्त की अधिसूचना की संवैधानिक वैधता पर विचार के लिये सहमत हो गई है.
गुजरात कांग्रेस के मुख्य सचेतक शैलेश मनुभाई परमार की ओर से जब वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और हरीन रावल ने निर्वाचन आयोग की अधिसूचना के अमल पर अंतिरम रोक लगाने का अनुरोध किया तो पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस जारी किया जाये. हम इसकी विवेचना करेंगे. हम कार्यवाही पर रोक नहीं लगा रहे हैं.’’
सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से कहा था कि चुनाव में नोटा का विकल्प उपलब्ध कराने पर विचार किया जाए. सुप्रीम कोर्ट सिब्बल की इस दलील से सहमत नहीं था कि नोटा का प्रावधान ‘भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा.’
कांग्रेस ने अपनी याचिका में कहा था, ऐसा करने की कानूनी बाध्यता नहीं है. इससे निष्पक्ष चुनाव पर असर पड़ेगा. मंगलवार को कांग्रेस ने आगामी राज्यसभा चुनाव में नोटा के विकल्प के इस्तेमाल के खिलाफ चुनाव आयोग से संपर्क किया था और दावा किया था कि यह संविधान और चुनावी नियमों का उल्लंघन है, लेकिन चुनाव आयोग ने कहा है कि यह कोई नया निर्देश नहीं है.
राज्य सभा चुनाव में भी नोटा के इस्तेमाल को लेकर राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ था. कांग्रेस उम्मीदवार और पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और उनकी पार्टी के तमाम नेताओं ने सवाल भी उठाया था. सरकार ने इस पर जवाब देते हुए कहा था कि चुनाव कराने का अधिकार चुनाव आयोग का है.
क्यों है कांग्रेस को आपत्ति?
सूत्रों के मुताबिक, एक के बाद एक गुजरात कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफों से परेशान कांग्रेस अपने 44 विधायकों को बेंगलूरु तो ले गयी लेकिन पार्टी को लगता है कि नोटा का विकल्प इसीलिए दिया जा रहा है ताकि जो विधायक टूट नहीं सके वो आखिरकार इस तरह से कांग्रेस नेता अहमद पटेल के पक्ष में वोट ना डालें.
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक बीजेपी ये साजिश अहमद पटेल को हराने के लिए कर रही है, कांग्रेस इस मामले को लेकर चुनाव आयोग भी गई थी.
क्या है नोटा और क्यों मचा है इसपर बवाल?
दरअसल चुनाव आयोग ने गुजरात राज्यसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल करने का आदेश दिया है. नोटा का मतलब होता है नन ऑफ द एबव यानी विधायको को इनमें से कोई नहीं चुनने का विकल्प होगा.
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को चुनाव में नोटा के इस्तेमाल का आदेश दिया था, इसके बाद यूपी, हरियाणा और त्रिपुरा के अलावा तमाम राज्यों जहां वोटिंग की आवश्यकता पड़ी, वहां राज्य सभा चुनाव के दौरान नोटा का इस्तेमाल हुआ था. दरअसल राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव का छोड़के नोटा का ऑप्शन सभी चुनावों में होता है.
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