Gujarat Result 2022: आखिर क्यों गुजरात में PM मोदी ने किया वो कमाल, जो CM मोदी भी नहीं कर पाए, जानें दिलचस्प कहानी
Gujarat MODI : बीजेपी के लिए चुनाव जीतने की गारंटी बन चुके नरेंद्र मोदी गुजरात में भी पिछले 20 साल से पार्टी का चेहरा बने हुए हैं. पीएम मोदी के करिश्मे से बीजेपी ने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया है.
Gujarat Result 2022: बीजेपी के वरिष्ठ नेता नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री तो हैं ही, वे गुजरात के लोगों के लिए गुजराती अस्मिता के सबसे बड़े ब्रांड हैं. गुजरात विधान सभा चुनाव में बीजेपी के ऐतिहासिक प्रदर्शन से इस बात को और बल मिलता है.
2022 को मिलाकर पिछले पांच विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी गुजरात में बीजेपी का चेहरा थे, जिनकी बदौलत वहां के सियासी दंगल में किसी और पार्टी को रत्तीभर भी मौका नहीं मिल रहा है. इनमें से तीन बार नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. पिछले दो विधानसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री थे. हर बार गुजरात में वहीं बीजेपी का चेहरा थे. नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते बीजेपी गुजरात में तीन बार जीती थी और आखिरी दो विधानसभा चुनाव में मोदी के पीएम रहते बीजेपी ने राज्य में सत्ता वापसी की है.
इस बार की प्रचंड जीत से एक पहलू निकल कर सामने आता है. गुजरात में पीएम मोदी ने वो कमाल कर दिखाया है, जो सीएम मोदी नहीं कर पाए थे. इसके लिए इस बार बीजेपी के जीत के आंकड़ों पर गौर करना होगा.
कितनी बड़ी है गुजरात में बीजेपी की जीत
बीजेपी ने 2022 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल की है. राज्य की 182 सीटों में से 156 सीटों पर कमल खिला है. गुजरात में ये किसी भी पार्टी का सबसे अच्छा प्रदर्शन है. राज्य की करीब 86 फीसदी सीट पर बीजेपी ने कब्जा जमाया. बीजेपी को पिछली बार से 57 सीटें ज्यादा मिली हैं. वोट शेयर की बात करें तो करीब 53 फीसदी वोट बीजेपी को मिले हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार बीजेपी के वोट शेयर में करीब 4 प्रतिशत का उछाल आया है.
बीजेपी ने अपने शानदार प्रदर्शन से इस बार गुजरात की राजनीति से कांग्रेस का एक तरह से सफाया कर दिया है. ऐसा इसलिए कह सकते हैं कि सालों तक गुजरात की सत्ता पर राज करने वाली कांग्रेस मात्र 17 सीटों पर सिमट गई है. कांग्रेस को 15 फीसदी वोट शेयर का नुकसान हुआ है.
मोदी का ही जादू था कि इस बार सत्ता विरोधी लहर भी बीजेपी के रास्ते में बाधा नहीं बन पाई. उल्टा बीजेपी ने वो कर दिखाया जिसे गुजरात में अब तक कोई पार्टी नहीं कर पाई थी. दिलचस्प बात है कि इसमें बीजेपी भी शामिल है.
कितनी ऐतिहासिक है इस बार की जीत
1. बीजेपी 1995 से गुजरात की सत्ता में है. लगातार सातवीं बार बीजेपी को गुजरात में सफलता मिली है. 1960 में गुजरात के अलग राज्य बनने के बाद अब तक कोई भी पार्टी गुजरात में इतनी बड़ी जीत दर्ज नहीं कर पाई थी. जीवराज नारायण मेहता, बलवंतराय मेहता, हितेंद्र देसाई, घनश्याम ओझा, चिमनभाई पटेल और माधव सिंह सोलंकी जैसे दिग्गज भी जो कारनामा नहीं कर पाए, उसे मोदी ने कर दिखाया. इससे पहले गुजरात की राजनीति में धुरंधर नेता माधव सिंह सोलंकी की अगुवाई में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 149 सीटें 1985 के विधानसभा चुनाव में हासिल की थीं. इस बार बीजेपी ने 156 सीटें जीतकर सारे रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है.
2. खुद बीजेपी का सबसे बेहतर प्रदर्शन 2002 के चुनाव में था. उस वक्त मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने सबसे ज्यादा 127 सीटों पर जीत दर्ज की थी. अब पीएम मोदी का करिश्मा है कि 20 साल बाद बीजेपी ने अपने रिकॉर्ड को बेहतर करते हुए गुजरात की राजनीति में एक नई ऊंचाई हासिल कर ली है.
3. इस बार की फतह से ये साफ हो गया है कि बीजेपी गुजरात में लगातार 32 साल तक राज करने वाली पार्टी बन जाएगी. इससे पहले पश्चिम बंगाल में सीपीएम का लगातार 34 सालों तक शासन करने का रिकॉर्ड रहा है. हालांकि सीपीएम ने भी पश्चिम बंगाल में लगातार सात बार विधानसभा चुनाव जीते थे. बीजेपी ने इस बार गुजरात में जीत के साथ इस रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है.
सीएम मोदी के दौरान गुजरात में हुए चुनाव
नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी गुजरात में पहली बार 2002 में चुनाव लड़ी. 2001 में ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बना दिया था. गुजरात में मोदी ब्रांड की शुरुआत यहीं से हो गई थी. 2002 के चुनाव में सीएम मोदी का जादू चला और बीजेपी ने 127 सीटों पर जीत दर्ज कर उस वक्त तक अपना बेस्ट परफॉर्मेंस दिया. बीजेपी के लिए ये पहली बार था जब उसे करीब 50 फीसदी वोट मिले.
नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए 2007 में फिर से गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सत्ता में वापसी की. इस चुनाव में बीजेपी ने 117 सीटों पर जीत दर्ज की और 49 फीसदी वोट हासिल किए. 2013 में बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी आखिरी बार पार्टी का चेहरा थे. इस बार भी बीजेपी 115 सीटें जीतकर सत्ता वापसी में कामयाब रही. बीजेपी का वोट शेयर करीब 48% रहा.
पीएम मोदी के दौरान गुजरात में हुए चुनाव
नरेंद्र मोदी के नाम पर बीजेपी 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ी. पहली बार बीजेपी केंद्र में अपनी बदौलत सरकार बनाने के लिए जरूरी सीट हासिल करने में कामयाब रही. मोदी के प्रधानमंत्री रहते हुए गुजरात में पहली बार 2017 में विधानसभा चुनाव हुए. इस बार भी मोदी ही पार्टी के चेहरा बने. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि 22 साल के सत्ता विरोधी लहर का खामियाजा इस बार बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है. लेकिन पीएम मोदी उस वक्त तक न सिर्फ गुजरात और पूरे देश के लिए, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी भारत की पहचान बन चुके थे. यही वजह थी कि 22 साल की एंटी इनकंबेंसी के थपेड़ों से भी बीजेपी की सत्ता वापसी को कांग्रेस रोक नहीं पाई. बीजेपी ने 99 सीटों पर जीत हासिल कर सत्ता में वापसी की. इस बार बीजेपी को 49 फीसदी वोट मिले.
गुजरात में 2022 में मोदी मैजिक का चरम दिखा
इस बार जब गुजरात में वोट डाले जा रहे थे, तो नरेंद्र मोदी के बतौर प्रधानमंत्री 8 साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका था. केंद्रीय राजनीति की धुरी के साथ ही पीएम मोदी बीजेपी के लिए वो हथियार बन चुके हैं, जिनके पास पार्टी को किसी भी झंझावात से उबारने का माद्दा हो. हुआ भी ऐसा ही. ये मोदी का ही जादू था जिसकी वजह से गुजरात में पहली बार बीजेपी विधानसभा चुनाव में 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करने में सफल रही.
इस बार बीजेपी को 52.5 फीसदी वोट मिले हैं. इससे ज्यादा सिर्फ 1985 में कांग्रेस को वोट शेयर हासिल हुआ था. उस वक्त कांग्रेस को 55 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे.
सीएम मोदी पर पीएम मोदी क्यों हैं भारी
नरेंद्र मोदी 7 अक्टूबर 2001 से 22 मई 2014 तक यानी करीब 13 साल गुजरात के मुख्यमंत्री रहे. उसके बाद से वे देश के प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. इसके बावजूद गुजरात में उनका प्रभाव कम नहीं हुआ है. बतौर पीएम वे गुजरात के चुनावी बिसात के नजरिए से और बड़ा चेहरे बन गए हैं. आखिर वो क्या वजहें हैं कि बतौर मुख्यमंत्री रहते मोदी गुजरात के सियासी रण में उस मुकाम को नहीं हासिल कर पाए, आइए जानें.
1. जब 2001 में नरेंद्र मोदी ने गुजरात की कमान संभाली थी, तो उस वक्त बीजेपी के शीर्ष नेताओं अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं का पार्टी में दबदबा था. गुजरात के मुख्यमंत्री होते हुए भी नरेंद्र मोदी पार्टी संगठन से जुड़ा हर फैसला करने के लिए स्वतंत्र नहीं थे. चुनाव के नजरिए से रणनीति बनाने के लिए भी मोदी को शीर्ष नेतृत्व के साथ तालमेल बनाकर चलना पड़ा था. प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात की राजनीति में नरेंद्र मोदी की पकड़ और मजबूत हो गई. उनका जुड़ाव राज्य की राजनीति और जनता से कम नहीं हुआ, बल्कि और बढ़ गया. पार्टी के लिए गुजरात में कौन नेता किस प्रकार की भूमिका के लिए मुफीद होगा, बतौर पीएम मोदी ने इस पर ख़ास जोर दिया. 2014 के बाद उन्होंने इस बात का बखूबी ध्यान रखा कि राज्य में पार्टी को कभी भी अंदरूनी कलह से न जूझना पड़े.
2. बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजरात के लोगों का भावनात्मक लगाव हो गया था, लेकिन प्रधानमंत्री बनने से अब वहां के लोगों के लिए मोदी भावनात्मक के साथ-साथ गुजराती अस्मिता से जुड़ चुके हैं. गुजरात के लोगों ने इस बार के मैंडेट से ये जाहिर कर दिया है कि वो पीएम मोदी की गुजराती पहचान पर आंच नहीं आने देंगे. ये भी एक बड़ा फैक्टर है कि इस बार गुजरात में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की.
3. गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने राज्य में विकास का अपना एक अलग मॉडल विकसित किया. हालांकि उस वक्त 2004 से यूपीए की सरकार आने से केंद्र से ज्यादा सहयोग मिलने में मुश्किलें पैदा भी हुईं. मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने गुजरात का आर्थिक तौर से संपंन्न बनाने में भूमिका निभाई ही, लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात आर्थिक संपन्नता के नए आयाम पर पहुंच गया. 5 फीसदी से कम आबादी के बावजूद देश की जीडीपी में गुजरात का योगदान 9 फीसदी से ज्यादा है. 2013 के बाद जीडीपी बढ़ने के साथ ही आम आदमी की कमाई भी बढ़ी है. 2013 में गुजरात में प्रति व्यक्ति आय (Per capita income) 1.03 लाख रुपये थी. 2020-21 में ये बढ़कर 2.14 लाख रुपये से ज्यादा हो गई है. 2013 में हर गुजराती औसतन हर महीने साढ़े आठ हजार रुपये कमाता था. अब करीब 18 हजार रुपये कमा लेता है.
प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी ने उन इलाकों में भी बीजेपी को मजबूत करने का काम किया, जिन पर बतौर सीएम बीजेपी अच्छी पकड़ नहीं बना पाई थी. इनमें पाटीदार बहुल और आदिवासी बहुल सीटें शामिल हैं, जिनमें बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया है.
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