अहमदाबाद: गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य में 2002 में हुए दंगों के मामलों में तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी और अन्य को दी गयी निचली अदालत से मिली क्लीन चिट को के आदेश को चुनौती देती जकिया जाफरी की याचिका पर अपना फैसला टाल दिया है. बता दें कि जकिया दंगों के दौरान मारे गये कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की पत्नी हैं.


न्यायमूर्ति सोनिया गोकनी की अदालत कल यानी सोमवार अपना फैसला सुनाने वाली थी, लेकिन उन्होंने अपना फैसला टाल दिया. इससे पहले उन्होंने जकिया के वकीलों और एसआईटी के सामने 2002 के दंगों के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से संबंधित सवाल रखे. मामले में अगली सुनवाई के लिए 28 अगस्त की तारीख तय की गई है.


अदालत ने एसआईटी से पूछा है कि क्या मामले में आगे हुई जांच से जुड़े कागजात उन मामलों पर सुनवाई कर रही अदालत के समक्ष जमा किये गये थे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दंगों के मामलों में कथित बड़े आपराधिक षड्यंत्र की जांच की गयी थी.


अदालत ने यह भी जानना चाहा कि क्या एसआईटी ने आगे की जांच से संबंधित कागज 2002 के गुलबर्ग नरसंहार कांड में सुनवाई कर रही अदालत के समक्ष पेश किये थे. इसी कांड में भीड़ ने एहसान जाफरी और 68 अन्य लोगों को जलाकर मार डाला था. अदालत चाहती थी कि एसआईटी वो ही कागजात उसके समक्ष भी रखे.


अदालत ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट से जुड़े सवाल भी रखे थे जिन्होंने दंगों के मामलों के सिलसिले में शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था.


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एसआईटी की एक विशेष अदालत ने गुलबर्ग कांड में पिछले साल 24 लोगों को दोषी करार दिया था, लेकिन मामले के पीछे बड़ी साजिश की संभावना से इनकार किया था.