Naroda Riots: नरोदा दंगा केस में सभी 67 आरोपी बरी, पीड़ित पक्ष बोला- हाई कोर्ट जाएंगे, पूर्व मंत्री कोडनानी ने कहा- सच्चाई की जीत हुई । बड़ी बातें
Naroda Gam Massacre: गोधरा स्टेशन के पास भीड़ के साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 बोगी में आग लगाने के विरोध में बुलाए गए बंद के दौरान 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद के नरोदा गाम क्षेत्र में दंगे भड़क गए थे.
Gujarat Riots: गुजरात की एक स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार (20 अप्रैल) को 2002 के नरोदा गाम दंगों के मामले में गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी सहित सभी 67 आरोपियों को बरी कर दिया. अहमदाबाद के नरोदा गाम में गोधरा मामले के बाद भड़के दंगों में मुस्लिम समुदाय के 11 सदस्यों के मारे जाने के दो दशक से अधिक समय बाद कोर्ट का यह फैसला आया है.
अहमदाबाद स्थित विशेष जांच दल (एसआईटी) मामलों के विशेष न्यायाधीश एस के बक्शी की कोर्ट ने नरोदा गाम दंगों से जुड़े इस बड़े मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया.
1. फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद कुछ आरोपियों ने अदालत के बाहर जय श्री राम और भारत माता की जय के नारे लगाए. जिन आरोपियों को बरी किया गया उनमें गुजरात सरकार में मंत्री रहीं कोडनानी, विहिप नेता जयदीप पटेल और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी शामिल है.
2. गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में मंत्री रहीं कोडनानी ने मामले में उन्हें बरी किए जाने पर कहा कि सच में आज सच्चाई की जीत हुई है. मामले में 86 अभियुक्तों में से 82 का प्रतिनिधित्व करने वाले एडवोकेट चेतन शाह ने कहा कि उन्होंने सुनिश्चित किया कि निर्दोषों को बरी कर दिया जाए. उन्होंने इसके लिए अदालत में 7,719 पृष्ठों में एक लिखित तर्क प्रस्तुत किया.
3. बरी किए गए आरोपियों में से एक ने कहा कि विशेष अदालत के फैसले ने उन लोगों का पर्दाफाश कर दिया है जिन्होंने उसके जैसे निर्दोष लोगों को फंसाने की साजिश रची थी. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने मामले के सभी पहलुओं का अध्ययन करने के बाद अपना आदेश पारित किया है. सच की हमेशा जीत होती है, आज फिर साबित हो गया.
4. पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता शहशाद पठान ने कहा कि बरी करने के आदेश को गुजरात हाई कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. पठान ने कहा, “हम उन आधारों का अध्ययन करेंगे जिसपर विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी करने का फैसला किया और आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे. ऐसा प्रतीत होता है कि पीड़ितों को न्याय से वंचित कर दिया गया है. सवाल यह है कि पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में 11 लोगों को किसने जलाया?
5. इस मामले में कुल 86 आरोपी थे, जिनमें से 18 की सुनवाई के दौरान मौत हो गई, जबकि एक को अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 169 के तहत साक्ष्य के आभाव में पहले आरोपमुक्त कर दिया था. सीआरपीसी की धारा 169 साक्ष्य की कमी होने पर अभियुक्त की रिहाई से संबंधित है.
6. छह अलग-अलग जजों ने मामले की सुनवाई की है. साल 2010 में जब मुकदमा शुरू हुआ, तब एस.एच. वोरा पीठासीन न्यायाधीश थे. बाद में उन्हें गुजरात हाई कोर्ट में पदोन्नत किया गया. उनके बाद मामले को संभालने वाले विशेष न्यायाधीशों में ज्योत्सना याग्निक, के.के. भट्ट और पी.बी. देसाई शामिल थे. ये सभी मुकदमे के लंबित रहने के दौरान सेवानिवृत्त हो गए. अधिवक्ता चेतन शाह ने कहा कि विशेष न्यायाधीश एम.के. दवे अगले जस्टिस थे लेकिन मुकदमे के समापन से पहले उनका तबादला कर दिया गया.
7. गोधरा स्टेशन के पास भीड़ के साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 बोगी में आग लगाने के विरोध में बुलाए गए बंद के दौरान 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद के नरोदा गाम क्षेत्र में दंगे भड़क गए थे. ट्रेन की बोगी में आगजनी की घटना में कम से कम 58 यात्री, जिनमें ज्यादातर अयोध्या से लौट रहे कारसेवक थे, जलकर मर गए थे.
8. कोडनानी को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों से संबंधित मामले में निचली अदालत ने अलग से दोषी ठहराया था और 28 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. नरोदा पाटिया में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी.
9. नरोदा गाम में नरसंहार 2002 के उन नौ बड़े सांप्रदायिक दंगों के मामलों में से एक था, जिसकी जांच सुप्रीम कोर्ट की नियुक्त एसआईटी ने की थी और जिसकी सुनवाई विशेष अदालतों ने की थी.
10. तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, जो अब केंद्रीय गृह मंत्री हैं, सितंबर 2017 में कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के रूप में निचली अदालत में पेश हुए थे. बीजेपी की पूर्व मंत्री कोडनानी ने अदालत से अनुरोध किया था कि शाह को यह साबित करने के लिए बुलाया जाए कि वह गुजरात विधानसभा में और बाद में अहमदाबाद के सोला सिविल अस्पताल में मौजूद थीं, न कि नरोदा गाम में, जहां नरसंहार हुआ था.
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