Railway Tickets Fraud: गुजरात में रेलवे सुरक्षा बल (Railway Protection Force) ने ट्रैवल एजेंटों, दलालों और सॉफ्टवेयर डेवलपर्स के एक अंतर-राज्यीय रैकेट का भंडाफोड़ किया है. इस गिरोह ने अवैध सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके आईआरसीटीसी पोर्टल (IRCTC) से 28.14 करोड़ रुपये के कन्फर्म टिकट खरीदे और उन्हें हाई कमीशन पर यात्रियों को बेच दिया.
राजकोट आरपीएफ के संभागीय सुरक्षा आयुक्त पवन कुमार श्रीवास्तव ने बुधवार को बताया कि पश्चिम रेलवे (WR) के राजकोट डिवीजन (Rajkot Division) की आरपीएफ टीम (RPF Team) ने अब तक छह लोगों को गिरफ्तार किया है और उनके पास से 43.42 लाख रुपयों के 1 हजार 688 बिना बिके टिकट बरामद किए हैं. उन्होंने बताया कि ये गैंग पिछले कुछ महीनों से फर्जीवाड़ा कर रहा था.
नकली आईपी एड्रेस के लिए अवैध सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया गया
अधिकारी श्रीवास्तव ने आगे जानकारी दी कि उनके तौर-तरीकों की गहन जांच से पता चला है कि नकली आईपी एड्रेस बनाने के लिए अवैध सॉफ्टवेयर के अलावा, इन आरोपियों ने इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) पर यूजर आईडी बनाने के लिए और टिकट बुकिंग के लिए ओटीपी (वन-टाइम पासवर्ड) प्राप्त करने के लिए "डिस्पोजेबल" मोबाइल फोन नंबर और ईमेल एड्रेस का इस्तेमाल किया था.
गुप्त सूचना के आधार पर मई में पकड़े गए आरोपी
उन्होंने बताया, "एक स्पेसिफिक गुप्त सूचना के आधार पर, हमारी टीम ने मई में राजकोट स्थित ट्रैवल एजेंट मनन वाघेला को गिरफ्तार किया था. वह अवैध सॉफ्टवेयर का उपयोग करके, आईआरसीटीसी पोर्टल से थोक में कन्फर्म रेलवे टिकट खरीदता था. बाद में, हमने मुंबई से जुलाई में सॉफ्टवेयर बेचने के लिए एक अन्य आरोपी कन्हैया गिरी को गिरफ्तार किया था." आरपीएफ ने गुजरात के वलसाड जिले के वापी कस्बे से सॉफ्टवेयर डेवलपर अभिषेक शर्मा को भी पकड़ा था. आरोप गिरि संदिग्ध सॉफ्टवेयर्स, जैसे कि COVID-X और ब्लैक टाइगर का 'सुपर डिस्ट्रीब्यूटर' था जबति शर्मा उन्हें डेवलेप करता था.
आरोपियों के द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर, आरपीएफ ने अंतरराज्यीय गिरोह के तीन अन्य सदस्यों अमन शर्मा, वीरेंद्र गुप्ता और अभिषेक तिवारी की पहचान की और उन्हें क्रमशः उत्तर प्रदेश के मुंबई, वलसाड और सुल्तानपुर से गिरफ्तार किया गया.
फर्जी आईपी एड्रेस जेनरेट करने के लिए सॉफ्टवेयर डेवलेप किया गया
आरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "चूंकि आईआरसीटीसी ने एक ही कंप्यूटर से बुक किए जा सकने वाले टिकटों की संख्या सीमित कर दी है, इसलिए आरोपी ने कई फर्जी आईपी एड्रेस जेनरेट करने के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किया. इससे ये एक कंप्यूटर का उपयोग करके थोक में टिकट बुक करने लगे. उन्होंने कहा कि कुछ ट्रैवल एजेंटों को आईआरसीटीसी पोर्टल पर फर्जी यूजर आईडी बनाने और प्रत्येक आईडी के लिए ओटीपी प्राप्त करने के लिए गिरोह द्वारा "डिस्पोजेबल" मोबाइल फोन नंबर और ईमेल आईडी प्रदान किए गए थे.
फ्रॉड साधनों का इस्तेमाल कर 28.14 करोड़ रुपयों के टिकट खरीदे गए
श्रीवास्तव ने कहा, "इस तरह के फ्रॉड साधनों का उपयोग करके 28.14 करोड़ रुपयों के टिकट खरीदे गए और गिरोह के सदस्यों ने उन टिकटों को बेचकर भारी कमीशन अर्जित किया." रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी भी आरोपी द्वारा दी गई जानकारी का विश्लेषण कर रहे हैं ताकि ई-टिकटिंग सिस्टम के दुरुपयोग को रोकने के लिए ऐसी तकनीकी खामियों को दूर किया जा सके.
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