वडोदरा: गुजरात का वडोदरा शहर बाढ़ की मार झेल रहा है. विश्वामित्री नदी का पानी अपने पूरे उफान पर है और बीते कुछ घंटों में हुई जोरदार बारिश ने बाढ़ पीड़ितों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. वडोदरा का कलाली गांव पिछले तीन दिनों से पूरी तरह से पानी में डूबा हुआ है, जो लोग गांव में फंस गए वो अभी भी अपने घरों की ऊपरी मंजिलों में किसी तरह रह रहे हैं लेकिन जो लोग गांव से निकलकर बाहर आ गए वो अपने बचे-खुचे सामान और एक टेंट के भरोसे जिंदगी काट रहे हैं. कलाली गांव जाने वाली सड़क के किनारों पर बाढ़ पीड़ितों ने टेंट के अंदर अपना आशियाना बनाया है, जो हवा के हर झोंके के साथ उजड़ने के लिए फड़फड़ा उठता है.


बाढ़ की मार झेल रहे ये लोग सिर पर एक तिरपाल के भरोसे जिंदगी बिता रहे हैं जो बारिश शुरू होते ही उखड़ जाने को बेताब दिखता है. ऊपर पानी और नीचे पानी, शायद यही इन लोगों की नियति है क्योंकि प्रशासन तो इन तक अब तक मदद करने नहीं पहुंचा. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तो रेस्क्यू करने आई लेकिन प्रशासन की तरफ से इन लोगों को खाने-पीने के लिए कुछ भी उपलब्ध नहीं कराया.


कलाली गांव के रहने वाले कल्पेश भाई अपने छह लोगों का परिवार लेकर टेंट के नीचे रात काट रहे हैं. उन्होंने बताया कि स्थानीय लोग जो खाने-पीने को देते हैं उसी से गुज़ारा चल रहा है और थोड़ा-बहुत पीने का पानी मिल पाता है. उनकी बुजुर्ग मां बता रही हैं कि इनका घर डूब चुका है. राशन बर्बाद हो चुका है और पिछले 3 दिनों से उनका परिवार जिसमें छोटे बच्चे भी शामिल हैं, सिर्फ बिस्किट खाकर जी रहे हैं. बच्चे अपनी मासूमियत के साथ बताते हैं कि उन्हें खिचड़ी खाने को मिलती है.


कलाली गांव के ही रहने वाले कानो भाई अपने परिवार के साथ एक टेंट के नीचे रहने को मजबूर हैं. इनके परिवार में कुल सात लोग हैं जो एक चारपाई पर किसी तरह रात काट रहे हैं. वे कहते हैं कि रात में बारिश होने पर पूरी रात जग कर बिताना पड़ता है और दिन बैठकर काटना पड़ता है. खाने-पीने को लेकर हो रही तकलीफ बताते हुए वे कहते हैं कि खुद से कुछ भी खाना बनाने को नहीं है इसलिए जो स्थानीय लोग मदद करते हैं उसी से पेट भरना पड़ता है.


इसी सड़क पर भीम सिंह का परिवार मिला. जो खुले टेंट के नीचे अपने जानवरों के साथ पिछले तीन दिनों से रह रहे हैं. वे गुजराती भाषा में बताते हैं कि बारिश ज्यादा होती है जिसकी वजह से काफी परेशानी होती है और खाने-पीने को लेकर परेशानी होती है. भीम सिंह की बहू गीता बाढ़ की वजह से अपने बच्चों को अपनी बहन के यहां छोड़कर आई हैं, जिन्हें लेकर गीता काफी भावुक हो गई. इनका कहना है कि स्थानीय लोग मदद जरूर करते हैं लेकिन ऐसी परिस्थिति में खाना गले से नीचे नहीं उतरता. इनका कहना है कि बारिश और बाढ़ ने इनके घर का सारा सामान बर्बाद कर दिया है, न बारिश बंद हो रही है और न बाढ़ का पानी वापस जा रहा है.


एबीपी न्यूज़ पानी में पूरी तरह से डूब चुके कलाली गांव में जाने की कोशिश की लेकिन इस गांव में जाने का सिर्फ एक साधन है, वो है ट्रेक्टर. ट्रेक्टर पर सवार होकर हमने गांव में जाने की कोशिश तो जरूर की लेकिन पानी इतना ज्यादा था कि हमें आधे रास्ते से वापस लौटना पड़ा. गांव में चारों तरफ सिर्फ पानी ही पानी नज़र आ रहा है. घर, मंदिर और खेत-खलिहान सब कुछ डूब चुका है. लोग सीने तक पानी में डूबकर गांव के भीतर तक जाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्हें भी पता है कि इस पानी में उतरना अपनी जान जोखिम में डालने के बराबर है. बाढ़-पीड़ितों की मदद के लिए स्थानीय लोग मदद को आगे आ रहे हैं, ऐसा ही एक परिवार बाढ़ पीड़ितों के लिए खाने-पीने का सामान लेकर आए थे और भूख की तड़प ऐसी है कि लोग कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे हैं.