आईआईटी कानपुर में फैज अहमद फैज की नज्म पर मचे बवाल पर गुलजार ने जाहिर की अपनी राय
मशहूर शायर फैज अहमद फैज की नज्म 'हम देखेंगे' इन दिनों काफी चर्चा में है. इसकी वजह ये है कि आईआईटी कानपुर ने एक जांच दल का गठन किया है जिन्हें यह फैसला करना है कि यह नज्म हिन्दू विरोधी है या नहीं.
मुंबई: मशहूर शायर फैज अहमद फैज की नज्म 'हम देखेंगे' को नागरिकता कानून में संशोधन के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान आईआईटी कानपुर में छात्रों द्वारा इस्तेमाल करने को लेकर मचे बवाल और कॉलेज प्रशासन द्वारा इस नज्म के 'हिंदू विरोधी' होने की जांच कराये जाने के मामले में अब मशहूर शायर और गीतकार गुलजार ने भी अपनी राय जाहिर की है.
अपनी आनेवाली फिल्म 'छपाक' के गाने के लॉन्च के बाद गुलजार इस मसले पर बात करते हुए कहा, "फैज़ साहब पर इल्जाम लगाना गलत है. वो एशिया के सबसे बड़े शायरों में से एक हैं. वो टाइम्स ऑफ पाकिस्तान के एडिटर रह चुके हैं, कम्युनिस्ट पार्टी के लीडर रह चुके हैं. उस स्तर के शायर, जो प्रोगेसिव मूवमेंट के संस्थापक भी रहे, उस आदमी को महजब के आधार पर इस तरह का इल्जाम देना मुनासिब नहीं लगता. ये मतलब उन लोगों के लिए गलत है, जो ऐसा कर रहे हैं."
गुलजार ने आगे कहा, "फैज अहमद फैज को सब जानते हैं. उन्होंने जिया-उल-हक के जमाने में इस नज्म को लिखा था. अगर हम उसे आउट ऑफ कॉन्टेक्स्ट प्लेस कर दें, तो इसका कोई मतलब नहीं बनता है. यह गलती उनकी है, जो इस तरह की बात कर रहे हैं. एक कविता, एक शेर या कुछ भी लिखा गया है, उसे एक सही परिपेक्ष्य में देखना जरूरी है और फैज की इस नज्म 'हम देखेंगे' के साथ भी यही किया जाना चाहिए."
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