जानिए, गुरमेहर के पिता कैसे शहीद हुए? किस हिम्मत, बहादुरी से अपनी कुर्बानी दी
नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा गुरमेहर कौर सुर्खियों में हैं. गुरमेहर ने अपने पिता को 1999 में ही खो दिया था. सेना के रिकॉर्ड्स के मुताबिक, कैप्टन मंदीप सिंह 6 अगस्त 1999 को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर में आतंकियों से हुई एक एनकाउंटर में शहीद हो गए थे. रिकॉर्ड्स के मुताबिक, वे सेना की एयर-डिफेंस रेजीमेंट के अधिकारी थे और अगस्त 1999 में सेना की राष्ट्रीय राईफल्स यूनिट (4 आरआर) में तैनात थे. सेना की आरआर यूनिट कश्मीर में सीआईऑप्स यानि काउंटर-इनसर्जेंसी ऑपरेशन करती है. इसी एक ऑपरेशन के दौरान वे शहीद हो गए.
राष्ट्रीय राइफल्स कैंप पर हुए आतंकी हमले में गुरमेहर के पिता कैप्टन मनदीप सिंह समेत अन्य 6 जवान शहीद हो गए थे. करगिल युद्द को देखते हुए उन दिनों पाकिस्तानी सेना लगातार आतंकियों द्वारा भी भारतीय सेना के कैंपों पर हमला करा रही थी. सभी जवान आतंकियों से कैंप की रक्षा करते वक्त शहीद हुए थे. अंग्रेजी वेबसाइट इंडियन एक्सप्रेस ने कैजुएलिटी रिपोर्ट के हवाले से इस बारे में जानकारी दी है. इसके मुताबिक गुरमेहर के पिता कैप्टन मनदीप सिंह 6 अगस्त 1999 को शहीद हुए थे.
साल 1999 के उन दिनों आतंकी आधी रात को कुपवाड़ा के चक नुतनुसा (Chak Nutnusa) गांव में अक्सर हमला करते थे. रिपोर्ट के मुताबिक कैप्टन मनदीप सिंह उस वक्त कंपनी कमांडर थे जो एंटी नेशनल तत्वों से निपटने में सक्षम थी. सेना के कैंप पर 6 अगस्त 1999 को रात 1 बजकर 15 मिनट पर हमला हुआ. आंतकियों से लड़ते वक्त कैप्टन मनदीप सिंह मौका ए वारदात पर ही शहीद हो गए. उनके साथ ही सेना के 6 अन्य जवान भी शहीद हो गए.
इस बातचीत में कैप्टन रजविंदर कौर ने अपना दुख बयान किया. कैप्टन मनदीप सिंह की पत्नी रजविंदर कौर आबकारी और कराधान विभाग पंजाब में काम करती हैं. रजविंदर का कहना है कि वह इस बात से दुखी हैं जिस तरह से उनके परिवार को स्पॉट लाइट में लाया गया है.
राष्ट्रीय राइफल्स 3 से रिटायर्ड ब्रिगेडियर अश्विनी कुमार ने बताया कि वो कैप्टन मनदीप सिंह की यूनिट से बहुत करीब से जुड़े हुए थे. जब कैप्टन मनदीप सिंह के कैंप पर हमला हुआ उस वक्त ब्रिगेडियर अश्विनी कुमार कुपवाडा में ही थे.
ब्रिगेडियर अश्विनी कुमार का कहना है कि कैप्टन मनदीप सिंह एक बहादुर और जांबाज जवान थे जिन्होंने अपनी पूरी ताकत और हिम्मत के साथ डटकर आतंकियों का सामना किया और अपने देश के लिए शहीद हो गए.