नई दिल्लीः सिख धर्म के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी की आज जयंती है. सिख समुदाय के लोग इस जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में बड़े ही उमंग और उत्साह के साथ मनाते हैं. आज के दिन गुरुद्वारों में कीर्तन और गुरुवाणी का पाठ होता है. सिख समुदाय के लोग सुबह प्रभातफेरी निकालते हैं और लंगर का आयोजन किया जाता है. गुरुद्वारों में सेवा की जाती है. गुरुद्वारों के आस-पास खालसा पंथ की झांकियां निकाली जाती हैं. कई लोग घरों में कीर्तन भी करवाते हैं.
गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म बिहार की राजधानी पटना में हुआ था. उनका जीवन परोपकार और त्याग का जीता जागता उदाहरण है. गुरु गोविंद ने अपने अनुयायियों को मानवता को शांति, प्रेम, करुणा, एकता और समानता की पढ़ाई.
सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह ने ही साल 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की थी. उनका जीवन अन्याय, अधर्म, अत्याचार और दमन के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए गुजरा.
हिंदू कैलेंडर के अनुसार गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था. उन्होंने खालसा वाणी - "वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह" भी दी.
गुरु गोबिंद सिंह ने जीवन जीने के लिए पांच सिद्धांत भी बताए जिन्हें 'पांच ककार' कहा जाता है. पांच ककार में ये पांच चीजें आती हैं जिन्हें खालसा सिख धारण करते हैं. ये हैं- 'केश', 'कड़ा', 'कृपाण', 'कंघा' और 'कच्छा'. इन पांचो के बिना खालसा वेश पूर्ण नहीं माना जाता है.
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