Guru Gobind Singh Statue: बिहार की राजधानी पटना के एक मॉल में सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह की प्रतिमा को लेकर विवाद खड़ा हो गया. देश में सिखों की बड़ी संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने इसे लेकर विरोध जताया. एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने इसकी निंदा करते हुए इसे सिख पंथ के सिद्धांतों के खिलाफ बताया. फिलहाल, विवाद के बाद अब प्रतिमा को मॉल से हटा लिया गया है.


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मॉल में गुरु की मूर्ति लगाए जाने की जानकारी मिलने के बाद पटना साहिब प्रबंधक कमेटी के सदस्य मॉल में पहुंचे और मूर्ति हटाने को कहा. इसके बाद मॉल प्रबंधन ने माफी मांगते हुए प्रतिमा को हटा दिया. प्रतिमा को पटना साहिब गुरुद्वारा भेज दिया गया है.


एसजीपीसी ने बताया सिख सिद्धांतों के खिलाफ


शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने भी इस मामले में एतराज जताया है. एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, हरजिंदर सिंह धामी ने बुधवार (7 जून) को एक बयान जारी किया. इसमें उन्होंने कहा कि "पटना साहिब के अंबुजा मॉल में सिख गुरु दशम सिख गुरु श्री गोबिंद सिंह की प्रतिमा स्थापित करना सिख सिद्धांतों के खिलाफ है. सिख धर्म में मूर्ति पूजा का कोई स्थान नहीं है."


हरजिंदर सिंह धामी ने कहा है कि दशम सिख गुरु की मूर्ति लगाने से सिखों की भावना को ठेस पहुंची है. उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में जांच रिपोर्ट मांगी जाएगी.


धामी ने कहा, सिख सिद्धांतों के खिलाफ काम करके किसी को भी सिखों की धार्मिक भावना को आहत करने का अधिकार नहीं है. एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा, तख्त श्री हरमंदर जी पटना साहिब को पूरे मामले की जांच करनी चाहिए और इसकी रिपोर्ट एसजीपीसी को भेजें ताकि ऐसा करने वालों से जवाब मांगा जा सके.


हरसिमरत कौर बादल ने भी जताया गुस्सा


यह मामला शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल के ट्वीट के बाद सुर्खियों में आया था, जिसमें उन्होंने प्रतिमा के लेकर नाराजगी जताई थी और कहा कि महान गुरुओं ने सर्वोच्च सत्ता की निरंकार प्रवृत्ति की बात की है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, महान गुरु साहिबान और श्री गुरु ग्रंथ साहिब सर्वोच्च शक्ति अकाल पुरख की निराकार प्रकृति पर जोर देते है. इसीलिए सिक्ख मर्यादा मूर्ति पूजा का निषेध करती है. इसलिए, पटना में अडानी के स्वामित्व वाली कंपनी के अंबुजा मॉल में दशमेश पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की मूर्ति स्थापित करना सिख मर्यादाओं का घोर उल्लंघन है.


उन्होंने इस मामले में माफी और एक्शन की मांग करते हुए आगे लिखा, इसके लिए जिम्मेदार लोगों को सिख कौम से माफी मांगनी चाहिए. सरकार को दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए. मैं सभी सिखों से अपील करती हूं कि हमारे धार्मिक नजरिए और पहचान को कमजोर करने के लिए खालसा पंथ के खिलाफ साजिशों से लड़ने के लिए एकजुट हों.


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