Gyanvapi Case: 'औरंगजेब न क्रूर था और न ही...', ज्ञानवापी केस में काशी विश्वनाथ मंदिर का जिक्र कर कोर्ट में बोली मस्जिद कमेटी
Gyanvapi Mosque Case: अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने अपनी आपत्ति में कहा है कि ज्ञानवापी में जो वस्तु मिली है वो शिवलिंग नहीं बल्कि एक फव्वारा है.
Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से सर्वे कराने का आग्रह करते हुए वाराणसी की जिला अदालत में दायर याचिका पर मुस्लिम पक्ष ने सोमवार (22 मई) को अपनी आपत्ति दाखिल की. इस दौरान ज्ञानवापी मस्जिद समिति (Gyanvapi Masjid Committee) ने कहा कि ना तो मुगल बादशाह औरंगजेब (Aurangzeb) क्रूर थे और ना ही उन्होंने वाराणसी में भगवान आदि विश्वेश्वर मंदिर को तोड़ा था.
परिसर के एएसआई सर्वेक्षण पर अपनी आपत्ति में, मस्जिद समिति (अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी) ने हिंदू पक्ष की दलील में किए गए इस दावे का खंडन किया है कि पुराने भगवान आदि विश्वेश्वर मंदिर पर मुस्लिम आक्रमणकारी ने हमला कर इसे नष्ट कर दिया था और फिर 1580 ई. में राजा टोंडल मल ने इसी स्थान पर मंदिर बनवाया था. अदालत ने अगली सुनवाई के लिए सात जुलाई की तारीख तय की है.
"कोई शिवलिंग नहीं मिला"
मस्जिद समिति ने पिछले साल अदालत की ओर से नियुक्त आयुक्त के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर एक 'शिवलिंग' की खोज से भी इनकार किया है. मस्जिद समिति ने कहा कि ज्ञानवापी में कोई शिवलिंग नहीं मिला है. वो वस्तु एक फव्वारा है. वाराणसी में दो काशी विश्वनाथ मंदिरों (पुराने और नए) की कोई अवधारणा नहीं थी. इसके अलावा, मस्जिद समिति ने मुस्लिम शासकों को आक्रमणकारी कहने वाली हिंदू पक्ष की दलील पर भी आपत्ति जताई है. इसमें कहा गया है कि ये बात हिंदू मुसलमानों के बीच नफरत पैदा करने के उद्देश्य से कही गई थी.
सात मुकदमों की सुनवाई एक साथ करने का आदेश
इसमें आगे कहा गया कि मौके पर जो इमारत मौजूद है, ज्ञानवापी मस्जिद, वहां हजारों साल से है. कल भी वह मस्जिद थी और आज भी मस्जिद है. वाराणसी और आसपास के जिलों के मुसलमान बिना किसी प्रतिबंध के वहां नमाज पढ़ते रहे हैं. इसी बीच वाराणसी की एक जिला अदालत ने मंगलवार को ज्ञानवापी मामले से संबंधित एक ही प्रकृति के सात मुकदमों की सुनवाई एक साथ किए जाने का आदेश दिया.
ये भी पढ़ें-