Gyanvapi Case : 'शिवलिंग' की पूजा का अनुरोध करने वाली याचिका पर आज वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट सुनाएगा फैसला, जानें अब तक क्या-क्या हुआ
इस मामले में 26 अप्रैल को एक निचली अदालत ने ज्ञानवासी परिसर में वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण का आदेश दिया था. हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि सर्वे के दौरान मस्जिद परिसर के अंदर एक "शिवलिंग" मिला था.
Gyanvapi Case News: ज्ञानवापी मामले के लिए आज बेहद अहम दिन है. वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट आज कथित शिवलिंग की पूजा अर्चना वाली याचिका पर फैसला सुनाएगा. हिंदू पक्ष ने मस्जिद परिसर में मिले कथित शिवलिंग की पूजा की इजाजत मांगी है. कोर्ट पहले इस याचिका पर 14 नवंबर (सोमवार) को फैसला सुनाने वाला था लेकिन उस दिन सिविल जज महेंद्र पांडे ने इसे 17 नवंबर तक के लिए टाल दिया था.
इससे पहले, विवाद के दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने 27 अक्टूबर को 8 नवंबर तक के लिए मुकदमे पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. चूंकि जज 8 नवंबर को छुट्टी पर थे, इसलिए मामले को सोमवार (14 नवंबर) के लिए पोस्ट कर दिया गया और उस दिन भी फैसला नहीं आ सका. अब आज इस याचिका पर फैसला आने की पूरी उम्मीद है.
24 मई को दायर की गई याचिका
विश्व वैदिक सनातन संघ के महासचिव वादी किरण सिंह ने 24 मई को वाराणसी जिला अदालत में मुकदमा दायर कर ज्ञानवापी परिसर में मुसलमानों के प्रवेश पर रोक लगाने, परिसर को सनातन संघ को सौंपने और 'शिवलिंग' की पूजा करने के लिए अनुमति देने की मांग की थी.
जिला जज एके विश्वेश ने 25 मई को मुकदमे को फास्ट ट्रैक कोर्ट में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था. वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस आयुक्त, अंजुमन इंतेजामिया समिति, जो ज्ञानवापी मस्जिद के मामलों का प्रबंधन करती है और विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को मुकदमे में प्रतिवादी बनाया गया था.
मस्जिद परिसर का हुआ था वीडियोग्राफिक सर्वे
इस मामले में 26 अप्रैल को एक निचली अदालत ने ज्ञानवासी परिसर में वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण का आदेश दिया था. हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि सर्वे के दौरान मस्जिद परिसर के अंदर एक 'शिवलिंग' मिला था. हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह ढांचा 'वजूखाना' जलाशय में फव्वारा तंत्र का हिस्सा था, जहां श्रद्धालु 'नमाज' अदा करने से पहले अनुष्ठान करते हैं.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को मामले को सिविल जज सीनियर डिवीजन से जिला जज को ट्रांसफर कर दिया था और कहा था कि इस मुद्दे की 'जटिलताओं' और 'संवेदनशीलता' को देखते हुए यह बेहतर होगा कि एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी इस केस को हैंडल करे.
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